चंडीगढ़ में घर के बाहर खड़ी गाड़ियों के चालान
चंडीगढ़ के निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि देश की सबसे चौड़ी सड़क वाले शहर की सबसे बड़ी समस्या ही वाहन होंगे। कारण है कि बेहद तेजी से बढ़ती वाहनों की संख्या। हर तीन मिनट में एक गाड़ी आरएलए में पंजीकृत होती है। लोग बिना पार्किंग की जगह के गाड़ियां खरीद रहे हैं। 12 लाख लोगों के शहर में करीब 14 लाख वाहन हैं। मोहाली-पंचकूला से रोजाना आने वाले डेढ़ लाख वाहन अलग। पार्किंग की जिम्मेदारी न लोग ले रहे हैं, न प्रशासन। सेक्टर-20 निवासी मधु कपूर ने कहा कि घर के बाहर गाड़ी खड़ी करने पर पुलिस ने जबरन 500 रुपये का चालान काट दिया जबकि सभी की गाड़ियां बाहर ही पार्क रहती हैं। पुलिसकर्मी कहते हैं कि दीवार तुड़वाकर गाड़ी को अंदर खड़ी करो।
कोरल ‘पुरनूर’ डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
पार्किंग का मुद्दा चंडीगढ़ में दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। अब चण्डीगढ़ के प्रशासक ने वी 4, 5, 6 रोड पर घरों के सामने पार्किंग पेड करने का तुगलकी फरमान सुना दिया है। रिहायशी एरिया में घरों के बाहर खड़े वाहनों का ट्रैफिक पुलिस चालान काट रही है। इस कारण लोगाें की परेशानी बढ़ गई है। पूर्व पार्षद एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रशिक्षण विभाग के संयोजक शक्ति प्रकाश देवशाली ने इस पर रोक लगाने के लिए यूटी प्रशासक बनवारीला पुरोहित को पत्र लिखा है।
आज चंडीगढ़ महिला कांग्रेस के अध्यक्ष दुबे ने कहा है कि प्रशासन द्वारा सेक्टर 35 और और आने वाले दिनों में चंडीगढ़ के निवासियों पर स्ट्रीट पार्किंग का शुल्क वसूलने का प्रशासन द्वारा रणनीति बनाई गई हैं जो की सरासर तानाशाही रवैया को दर्शाता है।
दीपा दुबे ने कहा कि प्रशासन द्वारा स्मार्ट सिटी का पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सेक्टर 35 से घरों के आगे खड़े वाहनों से पार्किंग फीस चार्ज करने का फैसला सरासर गलत है इसका विरोध चंडीगढ़ महिला कांग्रेस भी करती है।
चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम चंडीगढ़ के नागरिकों पर क्यों टैक्स पर टैक्स लगाकर नागरिकों का गला घोटने लगी है।
सेक्टर-20 और 30 की वार्ड पार्षद तरुणा हेमता का कहना है कि प्रशासन पार्किंग पॉलिसी को लागू कर पाया न ही कम्यूनिटी पार्किंग की व्यवस्था कर सका है। प्रशासन शहरवासियों को सेवाओं, सुविधाओं व अच्छी व्यवस्था देने के लिए बना है। प्रशासन को विकल्प ढूंढने चाहिए न कि एकदम से तुगलकी फरमान जारी कर लोगों को परेशान करना चाहिए। पार्टी स्तर पर बात कर इसके खिलाफ मुहिम चलाएंगे।
सेक्टर-20 ए निवासी हर्ष भाटिया ने कहा कि उनका 10 मरले का घर है। तीन गाड़ियां और चार टू-व्हीलर हैं। पुलिसकर्मी कह रहे हैं कि गाड़ियां घर के अंदर खड़ी करो। हमने कहा कि अंदर जगह नहीं है तो उन्होंने कहा कि चारदीवारी तोड़ दो। जब कहा कि अंदर तो जगह ही नहीं है तो कहा कि ये तो गाड़ी लेने से पहले सोचना चाहिए था। यातायात पुलिस तो चालान करेगी। प्रशासन का ये फैसला समझ नहीं आ रहा कि क्या सोच कर ऐसा कर रहे हैं। आरसी बनाते समय तो ऐसे किसी नियम के बारे में हमें बताया नहीं।
सेक्टर-20 निवासी मधु कपूर ने कहा कि घर के बाहर गाड़ी खड़ी करने पर पुलिस ने जबरन 500 रुपये का चालान काट दिया जबकि सभी की गाड़ियां बाहर ही पार्क रहती हैं। पुलिसकर्मी कहते हैं कि दीवार तुड़वाकर गाड़ी को अंदर खड़ी करो। उन्होंने कहा कि घर में चार गाड़ियां हैं, सभी अंदर नहीं आ सकतीं लेकिन पुलिसकर्मियों ने कोई बात नहीं सुनी। मधु ने कहा कि कोई भी नया नियम बनाने से पहले लोगों के बारे में सोचना चाहिए। सेक्टर-27 के विकास सिंह ने कहा कि पुलिस उनके एरिया में भी अनाउंसमेंट करके गई है कि बाहर गाड़ी खड़ी करने वालों का चालान कटेगा। इससे सभी लोग परेशान हैं कि वो गाड़ी कहां लेकर जाएंगे।
पुलिस का तर्क है कि कई लोगों के घर में गाड़ी खड़ी करने की जगह है, इसके बावजूद वो बाहर फुटपाथ पर गाड़ी खड़ी करते हैं। अमर उजाला ने मंगलवार को कई सेक्टरों का दौरा किया और पाया कि ये बात काफी हद तक सही है। सेक्टर-21, 22, 16, 23, 35, 37 समेत कई सेक्टरों में लोगों के घरों के चारदीवारी के अंदर जगह थी, बावजूद उनकी गाड़ियां फुटपाथ और सड़क के किनारे खड़ी थीं।
पुलिस की सख्ती के बाद सेक्टर-20, 22 और 27 के बड़े घरों के अंदर कुछ गाड़ियां खड़ी होने लगी हैं लेकिन सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों के साथ है, जिनके घर छोटे हैं। कई निजी व सरकारी घर ऐसे हैं, जो छोटे हैं और चारदीवारी के अंदर इतनी जगह नहीं है कि वो अपनी कार उसमें खड़ी कर सकें, ऐसे लोग सबसे ज्यादा चिंतित हैं। पुलिसकर्मियों के पास भी इसका जवाब नहीं है।
डीएसपी जसविंदर सिंह ने बताया कि लोगों को अपना माइंडसेट बदलना होगा। जिन लोगों के घरों में जगह है, कम से कम वो तो घर में गाड़ी खड़ी करें। पुलिस अभी मार्केट के पास और सर्कुलर रोड पर खड़ी होने वाली गाड़ियों पर फोकस कर रही है। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जाए। बहुत से लोग इस बात को समझने भी लगे हैं।