पालिका अध्यक्ष ओम कालवा के कार्य और मौत की ओर बढती मील राजनीति
करणी दान सिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ :
नगर पालिका सूरतगढ़ में कांग्रेस बोर्ड को 3 साल हो गए और लगातार नित्य नए आरोपों के घेरे में फंसता रहा है। कोई भी आरोप क्लियर नहीं हो रहे।
ओमप्रकाश कालवा नगर पालिका अध्यक्ष पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं और इन आरोपों की आंच मील परिवार तक पहुंच रही है और उनकी राजनीति पर बुरा असर डाल रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि पूर्व विधायक गंगाजल मील नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा को सरंक्षण दिए हुए हैं। कांग्रेस पार्टी के पार्षद आरोप लगाते हैं उनकी भी सुनवाई नहीं कर रहे।
आम जनता में यह चर्चा है कि गंगाजल मील ओमप्रकाश कालवा को बचा रहे हैं और खुद की राजनीति को जला रहे हैं। गंगाजल मील 2008 से 2013 तक विधायक रहे। उसके बाद 2013 के चुनाव में गंगाजल मील की पराजय हुई। 2018 में हनुमान मील की पराजय हुई। मील लगातार 10 साल से सत्ता की राजनीति से दूर रह गए।
आम जनता में चाहे यह माना जा रहा हो कि मील परिवार की चलती है। मील परिवार चाहे जो कार्य करवा सकता है,तब नगर पालिका के भ्रष्टाचार पर ओमप्रकाश कालवा से जवाब तलब क्यों नहीं हो रहा? मील परिवार पर विशेषकर गंगाजल मील पर यह आरोप है कि वे ओमप्रकाश कालवा को सरंक्षण दे रहे हैं जिसके कारण नगरपालिका के अंदर भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
पूरे शहर को गंदगी से नर्क बना दिया गया है। सड़कों की सफाई होती है। नालों की सफाई नहीं होती है बल्कि अब तो नालियों की सफाई भी नहीं होती।
नगर पालिका ने जेठमल मूंधड़ा पार्क को अपने कब्जे में लिया हुआ है। जनता मांग कर रही है खाली करने की। ओमप्रकाश कालवा कब्जा नहीं छोड़ रहे। इसके लिए आमरण अनशन की चेतावनी दी जा चुकी है।
सैनी गार्डन के पास बाईपास पर बहुत बड़ा केशव पार्क है जिसके अंदर गंदा पानी डाला जा रहा है। लगातार मांग उठ रही है किसको संभाला जाए।40 लाख से अधिक खर्चा कर दिए जाने के बाद में नगरपालिका इसमें गंदा पानी डाल रही है।
खुद नगर पालिका बोर्ड में कोई कार्य नहीं हो रहे। अभी जिला कलेक्टर सौरभ स्वामी की अध्यक्षता में पट्टे बांटने का कार्यक्रम हुआ जिसमें 512 पट्टे बांटने का विवरण दिया गया, घोषणा की गई,लेकिन असल में यह पट्टे बांटे नहीं गए। पट्टों को रोकने पर भी आरैप लग रहे हैं। लोगों से लिखवा कर के लिया जा रहा है की रजिस्ट्री करवाई जाए। रजिस्ट्री करवाने के लिए नगर पालिका ने पट्टे रोक रखें है। यह सबसे बड़ा आरोप है कि इसमें भ्रष्टाचार हो रहा है। रजिस्ट्री करवानी है तो तुरंत ही क्यों नहीं करवाई जा रही।
भूमि के कब्जों के आरोप भी लगातार लग रहे हैं जिन स्थानों पर अध्यक्ष के कब्जे के आरोप पहले पार्षद लगा चुके हैं, उन स्थानों पर अब अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं।
पहले दो महत्वपूर्ण अतिक्रमण अगस्त में हटाए गए थे उस समय भी आरोप लगा था कि नगरपालिका सत्ता उनको सरंक्षण दे रही है।
कुछ पार्षद कब्जा कर रहे हैं अतिक्रमण बेच रहे हैं यह आरोप भी लग रहे हैं और वे अध्यक्ष कालवा के खास बताए जाते हैं। अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा किसी भी आरोप का स्पष्टीकरण नहीं दे रहे इसलिए आम जनता में नगर पालिका बोर्ड की छवि धूमिल हो रही है।
सीवरेज के मामले में लगातार नए नए आरोप लग रहे हैं जो प्रमाणित हो रहे हैं। शहर में उनके प्रमाण मौजूद हैं। हाल ही में नगर पालिका के भ्रष्टाचार ऊपर कांग्रेस पार्टी के ही नेता पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ब्लॉक अध्यक्ष पार्षद परसराम भाटिया पार्षद बसंत कुमार बोहरा और 23 अन्य कांग्रेसी पार्षदों की ओर से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए लेकिन आज तक उनका निस्तारण नहीं किया गया। आश्चर्यजनक यह है कि इन आरोपों पर गंगाजल मीलने कोई एक्शन नहीं लिया जो उनकी राजनीति को प्रभावित कर रहा है और बुरा असर डाल रहा है।
कांग्रेस नेता पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारी मेघवाल ने 13 दिसंबर 2022 को पत्रकार वार्ता में बहुत बड़े आरोप खुले आरोप नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा अधिशासी अधिकारी विजय प्रताप सिंह और लेखा अधिकारी सुनील मेघवाल पर लगाए और अनेक प्रमाण दिए हैं। नगर पालिका के अध्यक्ष पर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं उनका सीधा असर गंगाजल मील की राजनीति पर पड़ रहा है।
अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा अविश्वास प्रस्ताव के जरिए तो नहीं हटाया जा सकता, असंभव है, लेकिन जो भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं उनसे जांच के दौरान जनता की मांग पर सरकार ने एक्शन लिया और अध्यक्ष को जांच के दौरान निलंबित किया तो यह गंगाजल मील की छवि खराब करने वाला कार्य होगा। सरकार जनता की मांग को ज्यादा दिन ठुकरा नहीं सकती. किसी दिन एक्शन हुआ तो गंगाजल मील की राजनीति पर सीधी चोट पहुंचेगी। ओमप्रकाश कालवा के बीसियों कार्य ऐसे हैं जिनके ऊपर जांच हो सकती है और जांच के दौरान ओमप्रकाश कालवा को डीएलबी सस्पेंड कर सकती है।
ऐसा हुआ तो सरंक्षण देने वाले गंगाजल मील परिवार की राजनीति पर भारी असर होगा। मील परिवार को 2023 का चुनाव लड़ना है। मील परिवार को हनुमान मील की राजनीति को बचाना है या ओमप्रकाश कालवा को बचाना है सरंक्षण देना है यह अपने भविष्य को सोचकर मील परिवार को शीघ्र ही तय करना होगा। यदि मील परिवार विशेषकर गंगाजल मील नहीं जागते हैं तो अगले चुनाव में मील का उदय होना मुश्किल रहेगा।
कांग्रेस पार्टी के पास में नगर पालिका बोर्ड में बहुमत है वे एक अध्यक्ष को इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं और दूसरा व्यक्ति अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं। यदि ओमप्रकाश कालवा त्यागपत्र देने से इनकार करते हैं तो उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में बोर्ड के नीति निर्देशन का पालन नहीं करने के आरोप में निलंबित किया जा सकता है, और ऐसी स्थिति में कार्यवाहक अध्यक्ष दूसरा चुना जा सकता है। मील के सामने इस रास्ते के अलावा अब अन्य कोई रास्ता बचा भी नहीं है.