Thursday, December 26
  •  ‘‘पंजाब ट्रांसपोर्ट (संशोधन) स्कीम-2022’’ के अंतर्गत 100 प्रतिशत शेयर के साथ केवल राज्य सरकार की बसों को ही अंतरराज्यीय रूटों पर चलने की इजाज़त
  •  कहा, बादल परिवार ने अपनी और अपने सहयोगियों की बसों का चंडीगढ़ में दाखिला सुनिश्चित बनाकर सरकारी खज़ाने को सेंध लगाई
  •  कांग्रेस सरकार ने भी आपसी मिलीभगत से पहुँचाया बादलों और बड़े बस ऑपरेटर घरानों को फ़ायदा

  राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

पंजाब से प्राईवेट बस माफ़िया को जड़ से ख़त्म करने के वायदे के साथ सत्ता की कमान संभालने वाली मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने एक और अहम फ़ैसला लेते हुए इंटर-स्टेट रूटों पर बादल परिवार और बड़े बस ऑपरेटरों की निजी बसों का एकाधिकार ख़त्म कर दिया है।  
 
परिवहन मंत्री स. लालजीत सिंह भुल्लर ने बताया कि बादल परिवार ने 2007 से 2017 की अपनी सरकारों के कार्यकाल के दौरान अपने निजी कारोबार चलाने की संकुचित नीति के अंतर्गत योजनाएं बनाईं, जिसमें उनके बाद की कांग्रेस सरकार ने भी बादलों के ट्रांसपोर्ट कारोबार चलाने में मदद की।  
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा इसी मन्तव्य के अंतर्गत ‘पंजाब ट्रांसपोर्ट स्कीम-2018’ बनाई गई, जिसमें स्टेट शेयर घटाकर बड़े बस ऑपरेटरों को फ़ायदा तो पहुँचाया ही गया, जिसका सीधा फ़ायदा बादल परिवार को मिला, बल्कि चंडीगढ़ में बादल परिवार की बसों का दाखिला बादसतूर जारी रहा। इससे सरकारी खज़ाने को बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचाया जाता रहा।  
 
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि ‘‘पंजाब ट्रांसपोर्ट स्कीम-2018’’ में संशोधन कर इसको ‘‘पंजाब ट्रांसपोर्ट (संशोधन) स्कीम-2022’’ कर दिया गया है। स्कीम के क्लॉज-3 के श्रृंखला नंबर-बी में संशोधन के साथ अब 100 प्रतिशत शेयर के साथ केवल राज्य सरकार की बसें ही चंडीगढ़ में दाख़िल हो सकेंगी। उन्होंने बताया कि अंतरराज्यीय रूटों पर 39 या इससे अधिक सवारियों की क्षमता वाली एयर-कंडीशन्ड स्टेज कैरिज बसें केवल स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग्ज द्वारा ही हर श्रेणी में उनके समूचे शेयर में से ही चलाई जाएंगी।  
 
परिवहन मंत्री ने दोष लगाया कि बादल परिवार अपने निजी हितों के लिए खज़ाने को निरंतर सेंध लगाता रहा और अपने एवं अपने साथियों के कारोबार को बढ़ाने के लिए मनमर्जी की योजनाएं बनाता रहा, परन्तु पंजाब सरकार, सरकारी खज़ाने की कीमत पर बादलों के संकुचित हितों की पूर्ति नहीं होने देगी।