महाराजा अग्रसेन एग्रीकल्चर कॉलेज सूरतगढ़ में न व्याख्याता न उपकरण:प्रबंधन जिम्मेदार

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ – 9 दिसम्बर :

            महाराजा अग्रसेन एग्रीकल्चर कॉलेज सूरतगढ़ में  न व्याख्याता है न उपकरण तो फिर यह कॉलेज संचालित कैसे किया जा रहा है। प्रबंधन समिति के प्रबंधन में ऐसी गंभीर खामियां है और विश्वविद्यालय की अनदेखी के कारण विद्यार्थियों को शुल्क देने के बावजूद शिक्षा नहीं मिल रही न प्रयोग हो रहे हैं। बिना कृषि उपकरणों के क्या सिखाता है यह कॉलेज? कॉलेज में हर साल खामियों के कारण विवाद होता है। 

            महाराजा अग्रसेन एग्रीकल्चर कॉलेज में छात्रों ने 7 दिसम्बर 2022 को मांग पत्र दिया है जिसमें अव्यवस्थाओं का ब्यौरा है।

             हरविन्दर सिंह और नरेश ढाका के नेतृत्व में   डायरेक्टर नवीन खेमका को ज्ञापन दिया। महाविद्यालय प्रबंधन को 15 दिसंबर तक का समय दिया है यदि छात्रों की मांगे पूरी नही होती है तो वे 16 तारीख से   अनिश्चितकालीन धरना शुरू होगा।

            छात्र नेता हरविन्दर सिंह ने कहा  है कि महाविद्यालय हमेशा अपनी मनमानी करता है। यदि अबकी बार वह छात्रों की मांगें पूरी करने में कोई भी कमी रखता है तो छात्र सख्त अपनायेगे जिसका जिमेदार सिर्फ और सिर्फ कॉलेज मैनेजमेंट होगा।

छात्रों की मांगें निम्न हैं :

  • नर्सिंग के स्टूडेंट्स के लिए पूरा स्टाफ नही, 3 टीचर 6-7 पीरियड ले रहे हैं। 
  • एग्रीकल्चर शाखा में भी स्टाफ की कमी है।
  • नॉन टीचिंग स्टाफ स्टूडेंट्स के साथ केदियों जैसा व्यवहार करते हैं।
  • स्कोलरशिप पोर्टल में महाविद्यालय का नाम नही आ रहा जिसके कारण स्टूडेंट्स बिना छात्रवृत्ति के रह जायेंगे। 
  • LPM लैब नहीं है कॉलेज में स्टुडेंट्स क्या सीख पाएंगे?
  • स्टुडेंट्स को स्पोर्ट्स में यूनिवर्सिटी तक ले जाया जाए। 
  • प्रैक्टिकल क्लासेज नियमानुसार नियमित लगे।
  • कृषि यन्त्र कॉलज में है ही नही।
  • कॉलेज स्टुडेंट्स को  फील्ड में नियमित ले जाया जाए।
  •   फोटोकॉपी करने के लिए भी स्टूडेंट्स को 3-4 km. दूर जाना पड़ता है कॉलज में फोटोकॉपी मशीन लायी जाए।
  • अस्थायी छात्रसंघ कमेटी बनाई जाए।
  • बॉयज common रूम बनाया जाए
  • शैक्षणिक भ्रमण कराया जाए जो पाठ्यक्रम में भी है।
  • वार्षिक महोत्सव कराया जाए जो विगत 4-5 सालो से नही हुआ
  • कॉलेज का दरवाजा 9 से 3 बजे तक बंद कर देते हैं जो अनुचित है।