पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 08 दिसम्बर 22 :
नोटः आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा है : मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर ही त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के अंश भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है और इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा से ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की पूजा का फल मिलता है।
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विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः मार्गशीर्ष,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः पूर्णिमा, प्रातः 09.38 तक है,
वारः गुरूवार।
विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः रोहिणी, दोपहर कालः 12.33 तक है,
योगः साध्य रात्रि काल 03.11 तक,
करणः बव,
सूर्य राशिः वृश्चिक, चंद्र राशिः वृष,
सूर्योदयः 07.06, सूर्यास्तः 05.20 बजे।
राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,