Sunday, December 22

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क 07 दिसम्बर 22 :

नोटः आज श्री दत्तात्रेय जयंती, श्रीसत्यनारायण व्रत है तथा त्रिपुर भैरवी जयंती है।

सत्यनारायण की कथा क्यों की जाती है, पूजा विधि, महत्व और मंत्र | Satyanarayan  katha
श्रीसत्यनारायण व्रत

श्रीसत्यनारायण व्रत: शास्त्रों के अनुसार सत्य को ईश्वर मानकर, निष्ठा के साथ समाज के किसी भी वर्ग का व्यक्ति यदि इस व्रत व कथा का श्रवण करता है, तो उसे इससे निश्चित ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है।

Dattatreya Jayanti 2022: भगवान दत्तात्रेय को माना जाता है त्रिदेवों का अंश,  जानें व्रत का महत्व और पूजा विधि - Dattatreya Jayanti 2022 on margashirsha  purnima know importance and puja ...
श्री दत्तात्रेय

श्री दत्तात्रेय जयंती : 07दिसंबर 2022 को मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर दत्तात्रेय जयंती मनाई जाएगी। पुराणों के अनुसार भगावन दत्तात्रेय वह देवता हैं जो ब्रह्मा, विष्णु और शंकर तीनों का मिलाजुला स्वरूप हैं। इनकी उपासना से त्रिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ये गुरु और ईश्वर दोनों का स्वरूप माने गए हैं जिस कारण इन्हेंश्री गुरुदेवदत्त और परब्रह्ममूर्ति सद्घुरु भी कहा जाता है। मान्यता है कि इनकी पूजा से साधक समस्त सिद्धियां प्राप्त करने का वरदान पाता है। दत्तात्रेय जयंती पर पूजा के वक्त इनकी कथा का श्रवण करने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं।

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माँ त्रिपुर भैरवी

माँ त्रिपुर भैरवी जयंती: माँ का योगदान स्वरूप सृष्टि के निर्माण और संहार में अतुल्नीय माना गया है। इसके अतिरिक्ति ऐसा भी माना जाता है कि माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं। हिन्दु कथाओं के अनुसार माँ भैरवी के कुल अन्य तेरह प्रकार के स्वरुप हैं और इनके प्रत्येक स्वरुप का बहुत ही अधिक महत्व है। इनकी पूजा पूरे विधि विधान से करने से भक्तों को  अतुल्नीय सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः मार्गशीर्ष, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः चतुर्दशी (तिथि की वृद्धि है, जो बुधवार को प्रातः 08.02 तक है, 

वारः बुधवार।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः कृत्तिका प्रातः कालः 10.25 तक है, 

योगः सिद्धि, रात्रि काल 02.54 तक, 

करणः वणिज, 

सूर्य राशिः वृश्चिक, चंद्र राशिः वृष, 

सूर्योदयः 07.05, सूर्यास्तः 05.20 बजे। 

राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,