SC ने पंजाब की AAP सरकार को फटकारा, BJP बोली – घरों में पानी नहीं, मोहल्लों में शराब पहुँच गई

            सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के नशा विरोधी कार्यों की गति पर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने सरकार से अवैध शराब बनाने के खतरे को रोकने के लिए उठाए गए विशिष्ट कदमों की सूची भी बनाने को कही। कोर्ट ने इसके बाद  सीमा सुरक्षा का भी मुद्दा उठाया। कोर्ट ने कहा कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और अगर कोई देश को खत्म करना चाहेगा, तो वह सीमाओं से इसकी शुरुआत करेगा।

Punjab Election Bhagwant Mann Will Be AAP CM Face BJP Attack Said Party  Also Declared Its Liquor Policy | Punjab Election: भगवंत मान को CM चेहरा  बनाने पर BJP ने AAP पर

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

            पंजाब सरकार से सवाल करते हुए कोर्ट ने जब्त किए गए पैसे के इस्तेमाल की जानकारी माँगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को इस पैसे का इस्तेमाल नशा विरोधी अभियानों के लिए करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब तक 2 सालों में 34000 से ज्यादा एफआईआर हो चुकी है, लेकिन किसी पर मुकदमा नहीं हुआ है। पंजाब सरकार की ओर से जवाब देते हुए एएसजी ने कहा कि चीजें आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि धारा 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है और आगे कार्रवाई भी होगी।

            सुप्रीम कोर्ट ने  बड़े पैमाने पर अवैध शराब के निर्माण और बिक्री को लेकर पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में ड्रग्स और शराब की समस्या एक गंभीर मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार केवल एफआईआर दर्ज कर रही है और आगे की कार्रवाई नहीं कर रही है। 

             कोर्ट ने पंजाब सरकार से अवैध शराब बनाने के खतरे को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की सूची बनाने को कहा। कोर्ट ने यह भी कहा कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है, अगर कोई देश को खत्म करना चाहेगा, तो वह सीमाओं से शुरू करेगा।  

            शीर्ष कोर्ट ने आगे कहा कि जिस तरह से पंजाब में नशे की समस्या बढ़ रही है, ऐसे तो युवा खत्म ही हो जाएंगे। नशे से लोग मर रहे।  कोर्ट ने कहा, हर गली में एक भट्टी हो गई है, अगर अवैध शराब पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में यह घातक साबित हो सकता है। 

            कोर्ट ने पंजाब सरकार सेयह भी पूछा कि अब तक तक जब्त किए गए पैसे किस जगह इस्तेमाल किए गए हैं।इस पैसे का इस्तेमाल सरकार को नशा विरोधी अभियानों के लिए करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अबतक दो वर्षों में 34 हजार से ज्यादा एफआईआर हो चुकी हैं, लेकिन किसी पर मुकदमा नहीं हुआ है।