चंडीगढ़ की कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन भी लंबे समय से इस एक्ट को चंडीगढ़ में लागू किए जाने की मांग कर रही हैं। इसी वर्ष फरवरी में चंडीगढ़ प्रशासन ने चंडीगढ़ टेनेंसी एक्ट को मंजूर किया था। इस एक्ट को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। अब इसे संसद में अंतिम मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, अजय सिंगला, चंडीगढ़ – 26 नवंबर :
चंडीगढ़ में जल्द ही टेनेंसी एक्ट लागू हो जाएगा। इससे मकान मालिक और किराएदारों के बीच झगड़े लगभग खत्म हो जाएगें। इससे अदालतों में चल रहे मकान मालिक-किराएदार के कानूनी विवाद भी काफी हद तक खत्म हो जाएगें। संसद के शीतकालीन सत्र में ‘चंडीगढ़ टेनेंसी एक्ट’ को अंतिम मंजूरी मिल जाने की संभावना है। यह सत्र 7 से 29 दिसंबर तक चलेगा। एक्ट लागू होने पर मकान मालिक नियमित किराया वसूल पाएंगे। यह दोनों पक्षों में संतुलन बनाएगा।
जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ की कुल आबादी का बड़ा हिस्सा किराएदार है। ऐसे में किराएदारों से जुड़ा यह एक्ट काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। चंडीगढ़ की कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन भी लंबे समय से इस एक्ट को चंडीगढ़ में लागू किए जाने की मांग कर रही हैं। इसी वर्ष फरवरी में चंडीगढ़ प्रशासन ने चंडीगढ़ टेनेंसी एक्ट को मंजूर किया था। इस एक्ट को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। अब इसे संसद में अंतिम मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
चंडीगढ़ प्रशासन का कहना है कि यह एक्ट बनाया जाना लोगों की लंबित मांगों में से एक है। इसके लागू होने से शहर में किराएदार रखने की प्रक्रिया को नियमित किया जा सकेगा। इससे किराएदार-मकान मालिक के विवादों में कमी आएगी। चंडीगढ़ में एक्ट के न होने से कई मकान मालिक घबरा कर किराएदारों को नहीं रख पाते क्योंकि उन्हें मकान पर कब्जा होने का डर बना रहता है। मकान मालिक और किराएदारों के कई केस SDM कोर्ट से लेकर जिला अदालत और हाईकोर्ट तक में पेंडिंग हैं।
पिछले वर्ष जून में केंद्र ने नया मॉडल एक्ट बनाए जाने का प्रस्ताव पेश किया था। इसे जून, 2021 में कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। इसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इस मॉडल टेनेंसी एक्ट को अपनाने पर विचार किया। जिसके बाद फरवरी में चंडीगढ़ टेनेंसी एक्ट को मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेजा था।
- कोई किराएदार मकान मालिक की प्रॉपर्टी पर कब्जा नहीं कर सकता।
- मकान मालिक किरायेदार को घर खाली करने के लिए परेशान कर नहीं कह सकता। इसके लिए जरूरी प्रावधान बनाए गए हैं।
- घर खाली करवाने के लिए मालिक को पहले नोटिस देना होगा। किरायेदार जिस रेंट की प्रॉपर्टी पर वह रहता है, उसकी देखभाल की जिम्मेदारी उसकी होगी।
- मकान मालिक और किरायेदार के विवाद का निबटारा रेंट अथॉरिटी में होगा। मकान मालिक और किरायेदार अथॉरिटी के सामने पेश होकर रेंट एग्रीमेंट करेंगे। दोनों पक्षों को एग्रीमेंट होने की तारीख से दो महीने के अंदर रेंट अथॉरिटी को सूचना देनी होगी।
- अगर किरायेदार दो महीने तक मकान मालिक को किराया नहीं देता तो उससे घर/जगह खाली कराई जा सकती है।
- रेंट एग्रीमेंट में लिखी समय सीमा से पहले किरायेदार को तब तक नहीं निकाला जा सकता, जब तक उसने लगातार दो महीनों तक किराया न दिया हो या वह प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल कर रहा हो।
- रेजिडेंशियल बिल्डिंग के लिए सिक्योरिटी अधिकतम 2 महीने का किराया हो सकता है, जबकि नॉन-रेजिडेंशियल जगहों के लिए अधिकतम 6 महीने का किराया।
- यदि मकान मालिक ने रेंट एग्रीमेंट की सभी शर्तों को पूरा किया है, फिर भी किराएदार जगह खाली नहीं करता है तो मकान मालिक दो महीने के लिए किराया डबल कर सकता है।
- इसके बाद खाली नहीं करने पर किराया दो महीने बाद चार गुना कर सकता है।
- मकान मालिक की शर्त में जगह खाली करने से पहले नोटिस देना शामिल है।
- मकान मालिक किराए वाले मकान या दुकान को खाली कराने के लिए नोटिस दे सकते हैं। इसके बाद एक दिन पहले लिखित में या मैसेज/मेल आदि के माध्यम से बताना होगा।