एक भी यूनिट का नया उत्पादन किये बिना किस बात का श्रेय लेना चाहती है सरकार – हुड्डा
- बीजेपी ने 8 साल में स्थापित नहीं किया कोई नया पावर प्लांट- हुड्डा
- कांग्रेस कार्यकाल में स्थापित हुए 5 पावर प्लांट, बीजेपी कार्यकाल में जीरो – हुड्डा
- हरियाणा के लोगों को महंगी बिजली देने वाली सरकार झूठे दावे कर गुमराह न करे – हुड्डा
- बिजली उपलब्धता विकास दर 10% से घटकर 2% पर पहुंची – हुड्डा
कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 24 नवंबर :
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि 8 साल में बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी सरकार ने प्रदेश में कोई नया पावर प्लांट स्थापित नहीं किया। बिजली उपलब्धता को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही सरकार बताए कि एक भी यूनिट का नया उत्पादन किये बिना किस बात का श्रेय लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने बीते 8 साल में राज्य में 1 मेगावाट भी बिजली उत्पादन नहीं बढ़ाया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हमने हरियाणा को पावर सरप्लस राज्य बनाया, लेकिन बीजेपी सरकार दूसरों के किए काम का श्रेय लूटने में ही लगी है। हरियाणा की बिजली उत्पादकता और उपलब्धता को कम करने, पावर प्लांट्स को ठप करने, आम लोगों को महंगी बिजली का झटका देने के लिए ही मौजूदा सरकार जिम्मेदार है। बीजेपी-जेजेपी सरकार की नाक के नीचे कभी बिजली मीटर बदलने में घोटाला, कभी बिजली मीटर खरीद में घोटाला हुआ। सरकार ने कभी बिजली रेट बढ़ाकर, कभी निजी कंपनियों से महंगी बिजली खरीदकर, तो कभी जुर्माना व अनाप-शनाप बिल के नाम पर आम जनता की जेब काटने के अलावा कोई नया काम नहीं किया।
उन्होंने बताया कि 2005 में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, उस समय बिजली व्यवस्था बुरी तरह से चरमरायी हुई थी और हरियाणा की बिजली उत्पादन क्षमता मात्र 1550 मेगावाट थी। कांग्रेस सरकार ने 10 साल में खेदड़ (हिसार) में राजीव गांधी थर्मल पॉवर – 1200 मेगावाट, झज्जर स्थित इंदिरा गांधी सुपर थर्मल पावर – 1500 मेगावाट, झज्जर स्थित महात्मां गांधी सुपर थर्मल पावर – 1320 मेगावाट, दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर यमुनानगर – 600 मेगावाट, पानीपत थर्मल पावर स्टेज 6 – 250 मेगावाट के बिजली कारखाने लगवाये। इसके अलावा भारत-अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते के तहत फतेहाबाद के गांव गोरखपुर में 2800 मेगावाट का पहला परमाणु बिजली संयंत्र मंजूर कराकर काम शुरु कराया। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान ही हरियाणा में बिजली उत्पादन (उपलब्धता) 12,740 मेगावाट तक पहुंच गया था। आज इतनी भी बिजली उपलब्धता नहीं है जितना कि हम 2014 में छोड़कर गए थे। यही नहीं, यमुनानगर में 660 यूनिट के एक और पावर प्लांट को मंजूरी देने का कार्य भी कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था। लेकिन पिछले 8 साल से भाजपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को लटकाए रखा। हमने प्रदेश में बिजली उपलब्धता में व्यापक सुधार कर प्रदेश को पॉवर सरप्लस और देश में सबसे सस्ती बिजली देने वाला राज्य बनाया। इस बात को खुद मुख्यमंत्री जी ने दूसरे प्रदेशों में जाकर स्वीकार भी किया।
इतना ही नहीं, हमारी सरकार ने 10 साल में कभी बिजली के दाम नहीं बढ़ाये उल्टे किसानों के लिये बिजली के रेट कम किये। 2005 में जब कांग्रेस सरकार बनी थी तो प्रदेश का कुल बजट ₹2200 करोड़ था। उसमें से 1600 करोड रुपए के बिजली बिल माफ करने का ऐतिहासिक कदम उठाने का काम कांग्रेस सरकार ने किया था। हरियाणा में बिजली के 5 नये प्लांट लगवाये, सारी पुरानी लाईनों के तार बदलवाए, नये ट्रांसफार्मर लगवाए। जबकि, भाजपा सरकार ने निजी कंपनियों से महंगी बिजली खरीदने की नीति पर चलकर आम लोगों को महंगाई का एक के बाद एक झटका देने का काम किया है। कांग्रेस सरकार ने ही किसानों को देश में सबसे सस्ती 10 पैसे प्रति यूनिट बिजली देने की शुरुआत की थी और कांग्रेस कार्यकाल के दौरान हमने 2 लाख किसानों को ट्यूबवेल कनेक्शन दिए थे। बीजेपी और बीजेपी जेजेपी ने अपने पूरे कार्यकाल में आज तक जनहित का ऐसा कोई कार्य नहीं किया।
हुड्डा ने कहा कि सरकार प्रदेश में कोई नया पावर प्लांट लगाना या बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाना तो दूर, हमारे द्वारा बनाए बिजली प्लांटों को ही नहीं चला पा रही है। सरकारी पावर प्लांट्स की उत्पादन क्षमता को घटाने और निजी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ाने का नतीजा यह हुआ कि हरियाणा में बिजली उपलब्धता विकास दर 10% से घटकर सिर्फ 2% रह गई है। यही कारण है कि बीजेपी सरकार के दौरान प्रदेश के लोगों को महंगी बिजली के साथ-साथ लगातार बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है। पिछली गर्मियों में प्रदेश ने बिजली की कटौती के चलते जिस आफत का सामना किया था, उसे आज तक लोग नहीं भूले हैं। पिछली गर्मियों में कुल बिजली की उपलब्धता घटकर महज 6 हजार मेगावाट ही रह गई थी। बिजली संकट का लाभ उठाकर निजी कंपनी ने सरकार से मनमाने रेट भी वसूले थे। यहां तक कि अडानी ग्रुप ने सरकार से हुए करार को तोड़ कर प्रति यूनिट महंगे रेट पर हरियाणा को बिजली बेची।