आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों के पास यदि फंड नहीं है तो चंदा कर लड़ें चुनाव
आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर बहुत ही गहरे आरोप लगाए। बाद में जरीवाला ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरे साथ कुछ फैमिली मैटर हो गया था। इसलिए ही मैंने अपना नामांकन वापस लिया। भाजपा ने मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं डाला और न ही मैंने किसी के दबाव में अपना नामांकन वापस लिया। मैं आम आदमी पार्टी में हूं या नहीं इस पर मैं जल्द ही स्टैंड क्लियर करुंगा। अपना नामांकन वापस लेने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता कंचन जरीवाला ने इसके पीछे का कारण बताया। उन्होंने कहा कि मेरे नामांकन वापस लेने का कारण यह था कि सूरत (पूर्व) विधानसभा में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया था। कार्यकर्ता रुपयों की मांग करने लगे थे। जरीवाला ने आगे कहा कि मैं इतना सक्षम नहीं हूं कि 80 लाख से एक करोड़ रुपये तक चुनाव में खर्च कर सकूं। उनकी मांग इतनी थी कि मैं उसे पूरा नहीं कर सकता था। इसके कारण मैने नामांकन वापस ले लिया।
अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरत/चंडीगढ़ :
दिल्ली डीएमसी के चुनाव हों या फिर गुजरात के चुनाव आम आदमी पार्टी(आआपा) ‘टिकटें बेचने’ के इल्ज़ाम से बदनाम हो रही है। खासकर गुजरात में आआपा ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाया और अपने ही प्रत्याशी के कारण कई कदम पीछे हटी।
गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में 1 दिसंबर को सूरत में मतदान होगा। इसको लेकर तीनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां प्रचार में जुटी हुई हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को पार्टी से फंड न मिल पाने के चलते खुद खर्च करना पड़ रहा है। आआपा के अधिकतर उम्मीदवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। इसके चलते वे कार्यकर्ताओं से ही चंदा एकत्रित कर रहे हैं।
आआपा के कई कैंडिडेट्स का कहना है कि चुनाव लड़ने के लिए पार्टी की तरफ से कोई भी आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है। इस वजह से नेता अपने-अपने क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं और उनके सहयोगियों से मदद ले रहे हैं। जानकारी के मुताबिक 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक की मदद ली जा रही है। उम्मीदवारों का कहना है कि हमारे पास फंड नहीं होने की वजह से नुकसान उठाना पड़ रहा है, फिर भी हम मैदान में डटे रहेंगे और जीतेंगे।
आआपा के बड़े नेता चुनाव प्रचार के लिए तो आएंगे, लेकिन जीतने के लिए उम्मीदवार को खुद ही मेहनत करनी पड़ेगी। आप के बड़े नेताओं ने उम्मीदवारों को सलाह दी है कि वे किसी भी बड़े नेता के भरोसे ना रहें। अपना चुनाव प्रचार खुद करें और अपनी जीत के लिए खुद ही मैदान में उतर कर लोगों तक पहुंचें।
कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों का भी हाल आ आदमी पार्टी के प्रत्याशियों जैसी है। कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक पहले से ही आंतरिक विवाद चल रहा है। टिकट नहीं मिलने से कई नेता नाराज हैं। इन सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए अभी तक कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा है। कांग्रेस के नेताओं का मनोबल टूट रहा है। सही समय पर कांग्रेस के नेताओं ने मोर्चा नहीं संभाला, तो आने वाले समय में नुकसान उठाना पड़ सकता है। मतदान के लिए अब 12 दिन और प्रचार के लिए 10 दिन का समय बचा है। आआपा के स्थानीय नेताओं के मुताबिक कई विधानसभा सीटों पर अभी तक कोई भी स्टार प्रचारक नहीं पहुंचा है और ना ही बड़ी सभाएं हुई हैं।