सूरतगढ़ का 1979 का कवि सम्मेलन:मेरी रिपोर्ट के पृष्ठ:आज से 45 साल पहले
करणी दान सिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ :
“सूरतगढ़ वाले करणीदानसिंह बोल रहे हो” पूर्व सांसद कवि ओमपाल सिंह निडर का फोन आया और मेरे हां कहने पर कहा कि मैं एक कवि सम्मेलन में सूरतगढ़ आया था। बहुत पहले की बात है। डॉक्टर डी एल अरोड़ा कैसे हैं? मैंने अच्छा बताया बातचीत हुई। यह फोनवार्ता करीब एक साल पहले हुई।
पुराने रिकॉर्ड में कवि सम्मेलन का निमंत्रण कार्ड और मेरी हस्तलिखित रिपोर्ट वाला कागज भी मिल गया।
कवि सम्मेलन 22 अक्टूबर 1979 को हुआ था। दीपावली पर्व पर यह है आयोजन एपैक्स क्लब की ओर से करवाया गया था। उस समय शिव शंकर गोयल अध्यक्ष और राजेंद्र स्वामी सचिव थे।
कवि सम्मेलन आज 18 नवंबर 2022 से 45 साल पहले हुआ था। उसमें मैंने जो नोटिंग की वह बहुत महत्वपूर्ण और पढ़ने लायक है। डायरी की आवश्यकता नहीं। केवल कागज को मोड़कर के डायरी जैसा बनाया और उस पर रिपोर्टिंग करते हुए 1 से लेकर 6 क्रमांक तक मैं लिखता गया। कुछ कविताओं की मुख्य पंक्तियां।
नए जो पत्रकार सीखना चाहें।जो रुचि रखते हैं और पढ़ना चाहें उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इतना पुराना रिकॉर्ड सामने आया है और बहुत सा रिकॉर्ड अभी बंद पड़ा है। मैं आप सभी के सामने समय के हिसाब से कुछ ना कुछ प्रस्तुत करता रहूंगा।
मैं मानता हूं कि यह अनमोल थाती है। इसे पढ़ा जाना चाहिए।
उस कवि सम्मेलन में 10 कवि आमंत्रित किए गए थे। सम्मेलन में 6 कवि पहुंचे थे। पुरानी धान मंडी में वह कवि सम्मेलन आधी रात के बाद तक जमा रहा। लोग सुनते रहे थे।
कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि ओमपाल सिंह निडर आगरा से पधारे थे। निडर बाद में भाजपा से लोकसभा सदस्य भी चुने गए।
बंकट बिहारी ‘पागल’ जयपुर से पधारे। श्री धनेश ‘फक्कड़’ भरतपुर से पधारे। त्रिलोक गोयल अजमेर से,कानदान कल्पित नागौर से और भवानी शंकर ‘विनोद’ हास्य कवि बीकानेर से पधारे थे। यह कवि सम्मेलन बहुत जमा था।
मेरी रिपोर्टिंग आप सबके सामने मौजूद है फिर भी थोड़ा बताना चाहता हूं। इस कवि सम्मेलन का संचालन बंकट बिहारी पागल ने किया था।
इस कवि सम्मेलन में ओमपाल सिंह निडर ने जो कविताएं सुनाई । उनके कुछ मुखड़े यहां हैं। जब तक अधिकारियों की बीवियों की मांग बढ़ती रहेगी,भारत के नेता रंडियों से हो गए,मैं भी अंधियारी रातों में दीप जला सकता हूं। निडर ने चौधरी चरण सिंह इंदिरा गांधी और राजनारायण सिंह पर भी कविताएं पढ़ीं।
कानदान कल्पित राजस्थान की भाषा के सिरमोर कवि ने जो प्रसिद्ध कविता पढ़ी। मरुधर मेरो देश जो झोरड़ो गांव जठे। आजादी का रखवाला सूत्या मत रेईज्यो रे।एक कविता मोरारजी के ऊपर व्यंग रूप में भी पढ़ी थी।आपरो ही आप पियो छाण छाण सा, ना जाणो पड़े ना लाणो पड़े, ना बासी को झंझट. एक और कविता उन्होंने पढ़ी । विदाई के समय की बेला। डब डब भरिया बाईसा रा नैण। एक समय के हिसाब से कविता पढी। हिंदुस्तान की क्या हालत हो गई है और अगर गांधीजी आ गए तो लोग गांधी जी को भी मानेंगे नहीं और बहुत कुछ उनके साथ अजब सा व्यवहार करेंगे इसलिए उन्होंने कविता पढी। म्हारीरी मानो तो गांधी जी भारत में भूलकर मत आईज्यो।
त्रिलोक गोयल ने हास्य कविताएं पढ़ी।
भवानी शंकर ने कविता पढ़ी। कुंवारा है,फिर जेल गया एडवांस है विदेश मंत्री बन जाएगा चांस है। एक और कविता थी मैं गंजों का लोहा मानूं।
धनेश फक्कड़ की कविता थी। बेटी भाग गई सारे गांव की।
पागल की कविताओं में थी कुर्सी के भूखों को हिंदुस्तान नहीं देना। अच्छी क्रांतिकारी कविता थी। पापी कुरान बाइबल गीता के पृष्ठ फाड़ डालेंगे। आदमी अपनी आदमीयतता खो देगा। जे मेरो घर वारो घर पर होतो जेठानी जैसे देर से सोती देर से उठती।
इस कवि सम्मेलन की रिपोर्टिंग के जो पृष्ठ हैं वे बड़े महत्वपूर्ण है जिनको यहां पेश कर रहा हूं।