एमबीबीएस छात्रों के प्रीपेड बॉन्ड को हटाए सरकार : चंद्रमोहन
- पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर की मांग
- कहा छात्रों से उनके पढ़ने का अधिकार ना छीना जाए
डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पंचकुला :
हरियाणा के रोहतक PGI में बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में चल रहे MBBS स्टूडेंटस को पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने अपना समर्थन देते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर जल्द से जल्द इस निर्णय को वापिस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केवल MBBS स्टूडेंट से ही सरकार बॉन्ड ले रही है, जबकि सरकार खुद रिवर्स बॉन्ड क्यों नहीं दे रही कि वह 7 साल तक बच्चों को सरकारी नौकरी देगी।2022 में चिकित्सा अधिकारियों के कुल 1252 पद रिक्त थे जिसमे लगभग 6 गुना 7000 डॉक्टरो ने परीक्षा दी जिससे साफ है कि सरकार के पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं है। यदि किसी विद्यार्थी के साथ कोई अनहोनी हो जाए ऐसी स्थिति में बॉन्ड की वापसी कैसे है इस बारे भी कोई स्पष्टीकरण नही है।पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन ने कहा कि MBBS स्टूडेंट को रात के समय पीटने की सूचना आहत करने वाली रही।मुख्यमंत्री का यह अधिकार नहीं है कि वे हरियाणा के बेटे व बेटियों पर वाटर कैनन चलवाएं। साथ ही उन्होंने कहा कि वे MBBS स्टूडेंट्स की हर संभव मदद करेंगे। साथ ही सीएम से बॉन्ड पॉलिसी को वापस लेने की मांग की है। यहां तक कि अन्य किसी राज्य ने इतनी लंबी समय अवधि की बॉन्ड पॉलिसी नही है।
सीएम प्रीपेड बॉन्ड पॉलिसी हटाकर करने दें बच्चों को पढ़ाई…
चंद्रमोहन ने कहा कि प्रीपेड के नाम पर खट्टर सरकार MBBS स्टूडेंट से बॉन्ड ले रही है जिसके कारण बच्चे को 4 साल में 40 लाख रुपए जमा करवाने होंगे,जिन बच्चों ने मेरिट के आधार पर सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था लेकिन उन्हें सड़क पर लाकर छोड़ दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि सत्ता का हठ छोड़कर गैर राजनीतिक तरीके से बिना किसी शर्त को प्रीपेड बॉन्ड को हटाकर बच्चों को पढ़ाई करने दें।
सरकार दे रिवर्स बॉन्ड..
उन्होंने कहा कि सरकार रिवर्स बॉन्ड क्यों नहीं देती। क्या मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर यह लिखकर देंगे कि वे हर बच्चे को 7 साल तक सरकारी नौकरी देंगे। यह तो सरकार नहीं दे रही, ऐसे में बच्चों के मां-बाप 40 लाख रुपए कहां से लेकर आएंगे। उन्होंने MBBS स्टूडेंट को इस लड़ाई में हर मदद करने का आश्वासन दिया।
प्रदेश सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण…
चंद्रमोहन ने इसे ‘तुगलकी फरमान’ करार देते हुए आरोप लगाया कि मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार का एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए फीस ढांचे में संशोधन का फैसला गरीब माता-पिता के डॉक्टर बनने के इच्छुक बच्चों के सपनों को ‘चकनाचूर’ कर देगा।पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उम्मीदवार को सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ रोजगार प्राप्त करने की स्थिति में, राज्य सरकार को बांड राशि के लिए शिक्षा ऋण की सुविधा का विकल्प देते हुए ऋण की किस्त चुकानी होगी। यदि चिकित्सक सरकारी संस्थान में सात वर्ष सेवा करता है तो सरकार ऋण राशि का भुगतान करेगी अन्यथा यदि वह बीच में सेवा छोड़ देता है तो उसे ऋण राशि का भुगतान करना होगा।
गरीब बच्चो को दूसरे राज्यों में पढ़ने के लिए मजबूर कर रही भाजपा सरकार..
चार साल से अधिक के पाठ्यक्रम के लिए कुल शुल्क 3,71,280 रुपये आंकी गई है। कुल बांड राशि 36,28,720 रुपये आती है। यह नई नीति हरियाणा के मेधावी छात्रों के दूसरे राज्यों में प्रवास को प्रोत्साहित करेगी जबकि मेधावी गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों को नुकसान होगा, नीति अमीर परिवारों के छात्रों को योग्यता सूची में बहुत नीचे रखेगी।चंद्रमोहन ने कहा कि वर्तमान में निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स की फीस 15 से 18 लाख रुपये के बीच है और ये कॉलेज सरकार के फैसले के बाद अपनी फीस में और वृद्धि करेंगे। इसके अलावा, “युवा विरोधी” नीति छात्रों को निजी कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए मजबूर करेगी, उन्होंने कहा।