आदमपुर उपचुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। आदमपुर में सिर्फ हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा ही प्रचार के लिए पहुंचे। वहीं हार पर कुमारी सैलजा ने कहा कि हुड्डा को तीसरी बार CM प्रमोट करने की वजह से चुनाव हारे। वहीं किरण चौधरी ने भी बिना नाम लिए हुड्डा ग्रुप पर जमकर निशाने साधे। रणदीप सुरजेवाला चुनाव को लेकर दूर रहे। वह कुछ दिन पहले रोहतक जरूर आए लेकिन उन्होंने आदमपुर हार पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी।
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर जारी की गई स्टार प्रचारकों की सूची में हरियाणा के दिग्गज नेताओं को जोर का झटका धीरे से लगा है। हरियाणा के केवल एक नेता को चुनाव प्रचार के काबिल मानते हुए उनका नाम स्टार प्रचारको की सूची में शामिल किया गया है। जबकि कोई भी नेता इस काबिल नहीं पाए गए हैं कि वह गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार कर सकें।
गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हरियाणा के दिग्गज कांग्रेस नेताओं को झटका लगा है। कांग्रेस ने सिर्फ पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जगह दी है। उनके विरोधी गुट के कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी को इस सूची में जगह नहीं दी गई।
इसको लेकर ज्यादा चर्चा इसलिए है क्योंकि सुरजेवाला और सैलजा को हाल ही में कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी का मेंबर बनाया गया था। मल्लिकार्जुन खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की जगह 47 मेंबरों की यह पावरफुल कमेटी बनाई गई है। इस वजह से पार्टी में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि हुड्डा एक बार फिर अपने विरोधियों पर भारी पड़े हैं।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) में सचिव और हरियाणा के कांग्रेस नेता वीरेंद्र सिंह राठौर का भी नाम लिस्ट में है। राठौर अभी गुजरात सूबे के सह प्रभारी का दायित्व देख रहे हैं। राठौर करनाल जिले के रहने वाले हैं। यहां से वह विधानसभा चुनाव भी लड़ते रहे हैं, लेकिन दो चुनावों से उन्हें जीत नहीं मिल पाई है।
पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे झटका दे चुके हैं। इस कमेटी को पार्टी की CWC कमेटी को भंग कर बनाया गया है। इस कमेटी में हरियाणा से राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा को मेंबर बनाया गया है। हालांकि इस पर हुड्डा सफाई दे चुके हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम भी कमेटी में नहीं है।
हरियाणा कांग्रेस में इस वक्त 4 गुट बने हुए हैं। जिनमें कुमारी सैलजा,, किरण चौधरी, रणदीप सुरजेवाला और भूपेंद्र हुड्डा शामिल हैं। फिलहाल हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा का दबदबा है। उनकी पसंद से ही उदयभान को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। संगठन से जुड़े सारे फैसले हुड्डा की मर्जी से ही हो रहे हैं।
आदमपुर उपचुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। आदमपुर में सिर्फ हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा ही प्रचार के लिए पहुंचे। वहीं हार पर कुमारी सैलजा ने कहा कि हुड्डा को तीसरी बार CM प्रमोट करने की वजह से चुनाव हारे। वहीं किरण चौधरी ने भी बिना नाम लिए हुड्डा ग्रुप पर जमकर निशाने साधे। रणदीप सुरजेवाला चुनाव को लेकर दूर रहे। वह कुछ दिन पहले रोहतक जरूर आए लेकिन उन्होंने आदमपुर हार पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी।
हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी से खफा कांग्रेस हाईकमान इन्हें फटकार भी लगा चुका है। जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को अपने बयान से पलटना पड़ा। उनसे किरण चौधरी से टिकट बंटवारे के बारे में पूछे जाने पर उदयभान ने कहा था कि उन्हें किस हैसियत से पूछा जाए। वहीं किरण चौधरी इस मुद्दे पर अब भी खुलकर बयानबाजी कर रही हैं। हालांकि वह किसी का नाम नहीं ले रहीं ।
दरअसल कांग्रेस की ओर से गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार करने वाले स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गई है। जिसमें हरियाणा के दिग्गज कांग्रेस नेताओं को पार्टी की ओर से जोर का झटका दिया गया है। कांग्रेस की स्टार प्रचारकों की सूची में केवल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जगह मिल पाई है जबकि उनके विरोधी गुट की कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी को इस सूची में जगह नहीं मिल पाई है। हरियाणा के नेताओं का यह हाल उस स्थिति में है जब रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा को हाल ही में कांग्रेस की स्टैयरिंग कमेटी का सदस्य बनाया गया था। मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी के स्थान पर 45 मेंबरों की यह शक्तिशाली कमेटी बनाई गई है। इस वजह से पार्टी में इस बात को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि क्या हरियाणा के कांग्रेसी नेता पार्टी को चुनाव प्रचार के काबिल नहीं लगते हैं?