Sunday, December 22

            उद्धव ठाकरे ने अपनी याचिका में कहा था कि वह 30  वर्षों से पार्टी को चला रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग के आदेश खी वजह से वह अपने पिता के दिए हुए नाम और चुनाव निशान का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग के इस फैसले की वजह से पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों पर विराम लग गया है। कोर्ट में पेश होने के बाद उद्धव के वकील ने कहा था कि मामला बनने तक चुनाव आयोग निशान फ्रीज नहीं कर सकता था। 

सारीका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, मुंबई/चंडीगढ़ :

            दिल्ली हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना के चुनाव चिन्ह और नाम के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही चुनाव आयोग को शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चल रहे विवादों को लेकर जल्द से जल्द फैसला लेने के आदेश दिए हैं। इससे एक दिन पहले ही महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने भी ठाकरे की याचिका पर सुनवाई की। इसमें कोर्ट ने कहा कि ईसी के फैसले का इंतजार क्यों नहीं हो रहा है।

            दरअसल महाराष्ट्र में शिवसेना के दो खेमों में बंट जाने के बाद भी सियासी घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों ही पक्षों की पुरानी शिवसेना के चुनाव चिन्ह को लेकर जंग छिड़ी हुई है। यह देखते हुए चुनाव आयोग ने इसे फ्रीज कर दिया। चुनाव आयोग ने अंतरिम आदेश कर कहा कि इस चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल दोनों में से ही कोई नहीं कर सकेगा। चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में उपचुनाव और निकाय चुनावों को देखते हुए दोनों ही धड़ों को अलग अलग नाम के चुनाव भी जारी कर दिए थे। 

                        उद्धव ठाकरे को मशाल का निशान दिया गया था और एकनाथ शिंदे के गुट को ढाल और तलवार का निशान। महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल के बाद से ही शिंद और उद्धव गुट में टकराव की स्थिति बनी हुई है। मंगलवार को भी एक अभिनंदन समारोह के दौरान दोनों ही धड़ों के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए।