आम आदमी पार्टी के राज में आम आदमी सरकारी एंबुलेंस को तरसे

            चुनाव जीतने के लिए आम आदमी पार्टी जो वादे करती है उसमें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का मुद्दा सबसे ऊपर होता है। हालाँकि चुनाव जीतने के बाद हाल क्या होता है इसकी एक तस्वीर डेराबस्सी से सामने आई है जहाँ सिविल अस्पताल में एंबुलेंस सुविधा न मिलने के कारण माता-पिता अपने बेटे को रेहड़ी पर ले जाते दिखाई दिए।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, डेराबस्सी :

            लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले आम आदमी पार्टी के राज्य में डेराबस्सी विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह दम तोड़ रही हैं। डेराबस्सी सिविल अस्पताल के डॉक्टरों की घोर लापरवाही तब सामने आई जब एक 20 वर्षीय मरीज युवक को चंडीगढ़ अस्पताल रेफर तो कर दिया गया, लेकिन एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई। युवक की गंभीर हालत को देखकर मजबूर माता-पिता बिना समय बर्बाद किए बेटे को मोटर रेहड़ी पर जीएमसीएच सेक्टर-32, चंडीगढ़ ले गए। इसी बीच पिता ने मोटर रेहड़ी चलाई और मां ग्लूकोज की बोतल लेकर पीछे बैठकर गई। यह दिल दहला देने वाला मामला डेराबस्सी में देखने को मिला है।

            चंडीगढ़ पहुँचने के बाद पीड़ित पिता ने बताया कि उनके 20 साल के बेटे को कई दिनों से बुखार आ रहा था। इसलिए उन लोगों ने उसे डेराबस्सी के सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। लेकिन डॉक्टरों ने उस पर ध्यान नहीं दिया। नतीजतन लड़के की प्लेटलेट केवल 20 हजार बचीं। हालात बिगड़ती देख सिविल अस्पताल ने उसे चंडीगढ़ रेफर किया। मगर वहाँ भेजने की व्यवस्था नहीं की।

            अब्दुल ने खुद एंबुलेंस के नंबर पर फोन लगाया। उन्हें कहा गया कि अभी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हैं और जल्दी में कोई एंबुलेंस नहीं मिल पाएगी। 108 नंबर पर मनाही होने पर पिता मोटर रेहड़ी पर बेटे को चंडीगढ़ लाए। माँ ने लड़के के ग्लूकोज को पकड़ा। अब उसका इलाज वहीं चल रहा है।

            रिपोर्ट के अनुसार सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ धर्मिंदर ने बताया कि शुक्रवार को 2 एंबुलेंस में से एक वीआईपी ड्यूटी पर थी। दूसरी एक मरीज को लेकर चंडीगढ़ गई थी। इसलिए अभिभावकों से कहा गया था कि वो एंबुलेंस की व्यवस्था खुद करें।

            पंजाब की इस घटना पर तजिंदर पाल बग्गा ने ट्वीट किया है। ट्वीट में भाजपा नेता ने लिखा, “आम आदमी की सरकार में एंबुलेंस ‘वीआईपी ड्यूटी’ पर थी… इसलिए बेचारा पिता क्या करता, अपने बेटे को मरता तो छोड़ नहीं सकता था। इसलिए बाप ने रेहड़ी चलाई और माँ हाथ में ग्लूकोज लिए पीछे बैठी रही। ऐसे वो डेराबस्सी से चंडीगढ़ पहुँचे।”