छत्तीसगढ़ में सनातन धर्म के देवी-देवताओं का कांग्रेस नेता की उपस्थिती में अपमान
आम आदमी पार्टी के बाद अब कॉंग्रेस के राज में दिलाई गई हिंदू विरोधी शपथ, वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक कार्यक्रम में हिंदू विरोधी शपथ दिलवाई जा रही है। यह वायरल वीडियो छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का बताया जा रहा है। इस वीडियो में हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई जा रही है। वीडियो में एक व्यक्ति वहाँ मौजूद लोगों को शपथ दिलाते हुए कह रहा है, “मैं गौरी,गणपति इत्यादि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूँगा और ना ही कभी उनकी पूजा करूँगा। मैं इस बात पर कभी विश्वास नहीं करूँगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है।” इस दौरान शपथ दोहराने वाले लोगों में महापौर देशमुख भी दिख रहीं हैं।
डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पटना :
कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ से एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में हिंदू विरोधी शपथ दिलवाई जा रही है। वीडियो राजनांदगांव का है। इस दौरान कॉन्ग्रेस की महापौर हेमा सुदेश देशमुख भी मौजूद थीं।
राहुल गांधी के कर्नाटक दौरे के बाद कांग्रेसी नेता के बयानों पर बीजेपी ने कहा था कि रिजिल मकुट्टी के साथ राहुल गांधी के दिखने से साफ हो गया है कि कांग्रेस अपनी हिंदू विरोधी नफरत को छिपाने की कोशिश भी नहीं कर रही है। दरअसल, सतीश जारकीहोली को अंध विश्वास की खुलकर मुख़ालफ़त करने वाला नेता माना जाता है और उन्होंने ‘मानव बंधुत्व वेदिके’ नाम से अंध-विश्वास विरोधी संगठन भी बना रखा है। हाल ही में एक सभा में दिए भाषण में उन्होंने कहा कि हिंदू एक फारसी शब्द है और इसका अर्थ भयानक होता है। हिंदू शब्द भारत का है ही नहीं ये तो फारस से आया है। उनके मुताबिक हिन्दू का अर्थ बहुत विचित्र है। कहीं का धर्म लाकर आप चर्चा कर रहे हैं। हम पर हिन्दू शब्द थोपा जा रहा है। ईरान और इराक से आया है, हिन्दू शब्द। हिंदू शब्द कहां से आया? यह फ़ारसी है। भारत का क्या संबंध है? यह आपका कैसे हो गया हिंदू? इस पर बहस होनी चाहिए। यह शब्द आपका नहीं है। अगर आपको इसका मतलब समझ में आएगा, तो आपको शर्म आ जाएगी।
वीडियो राजनांदगांव के वार्ड मोहरा में आयोजित राज्यस्तरीय बौद्ध सम्मेलन का है। यह वीडियो 7 नवंबर 2022 का है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि लोगों को हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई जा रही है।
वीडियो में एक व्यक्ति वहाँ मौजूद लोगों को शपथ दिलाते हुए कह रहा है, “मैं गौरी,गणपति इत्यादि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूँगा और ना ही कभी उनकी पूजा करूँगा। मैं इस बात पर कभी विश्वास नहीं करूँगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है।” इस दौरान शपथ दोहराने वाले लोगों में महापौर देशमुख भी दिख रहीं हैं।
जनजातीय मामलों की केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने यह वीडियो ट्वीट करते हुए कहा है, “कॉन्ग्रेस राज में हिंदू विरोध चरम पर है। यहाँ हिंदू आस्था पर खुलेआम प्रहार किया जा रहा है और कॉन्ग्रेस की राजनांदगांव महापौर हिंदू धर्म के विरूद्ध शपथ ले रही हैं। कोई सनातन विरोधी कार्यक्रम हो और कॉन्ग्रेस से उसके तार ना जुड़े ऐसा हो सकता है क्या?”
छत्तीसगढ़ भाजपा प्रवक्ता नीलू शर्मा ने भी इस आयोजन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पत्रकारों को बताया, “एक तरफ भूपेश बघेल की सरकार छतीसगढ़ में राम गमन पथ निर्माण की बात करती है। दूसरी और कॉन्ग्रेस नेता हिंदू विरोधी कार्यक्रमों में शिकरत करते हैं। कॉन्ग्रेस महापौर की ऐसे कार्यक्रम में मौजूदगी दुर्भाग्यजनक है।”
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले इसी तरह का कार्यक्रम दिल्ली में भी हुआ था। 5 अक्टूबर 2022 को आयोजित इस कार्यक्रम में करीब 10 हजार लोगों को हिंदू विरोधी शपथ दिलाई गई थी। इसका आयोजन बौद्ध सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा नई दिल्ली के झंडेवालान स्थित डॉ. बीआर अंबेडकर भवन में किया गया था।
इस कार्यक्रम में केजरीवाल सरकार के तत्कालीन मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी शामिल हुए थे। गौतम ने इसकी कुछ तस्वीरें ट्विटर पर साझा करते हुए कहा था, “आज मिशन जय भीम के तत्वाधान में अशोका विजयदशमी पर डॉ. अंबेडकर भवन रानी झाँसी रोड पर 10000 से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने तथागत गौतम बुद्ध के धाम में घर वापसी कर जाति विहीन और छुआछूत मुक्त भारत बनाने की शपथ ली। नमो बुद्धाय, जय भीम!”
इस कार्यक्रम में गौतम समेत कई लोग एक शपथ लेते भी दिखे थे। इसमें कहा गया था, “मैं हिंदू धर्म के देवी देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, श्रीराम और श्रीकृष्ण को भगवान नहीं मानूँगा, न ही उनकी पूजा करूँगा। मुझे राम और कृष्ण में कोई विश्वास नहीं होगा, जिन्हें भगवान का अवतार माना जाता है।” इस दौरान यह भी कहते हुए सुना गया, “मैं इस बात को नहीं मानता और न ही मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे केवल पागलपन और झूठा प्रचार मानता हूँ। मैं श्राद्ध नहीं करूँगा और न ही पिंडदान करूँगा।” इसके बाद गौतम को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।