आदमपुर हार से हरियाणा कांग्रेस में कलह बढ़ी

            कांग्रेस ने आदमपुर सीट पर हुड्डा कैंप के जयप्रकाश को उतारा था। हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने परिणाम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चुनाव में उम्मीदवार के सेलेक्शन से लेकर प्रचार तक में ऐसा लगा कि एक ही परिवार चुनाव लड़ रहा है। कांग्रेस कहीं से भी राष्ट्रीय पार्टी जैसी नहीं दिखी, जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो। खट्टर सरकार से नाराजगी के बावजूद कांग्रेस को हार मिली तो इसकी यही रही है। राज्य में कुमारी शैलजा कांग्रेस का एक बड़ा दलित चेहरा है। हुड्डा कैंप के दबाव बनाने के बाद ही उन्हें अध्यक्ष पद त्यागना पड़ा था। जिसके बाद पार्टी ने हुड्डा के करीबी उदयभान अध्यक्ष बनाया था।  

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

            देश के 6 राज्यों में 7 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगा है। उसे तेलंगाना में मुनुगोदे सीट पर करारी हार झेलनी पड़ी है, जिसे उसने 37000 वोटों से जीता था। इसके अलावा हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस को हार मिली है, जो लंबे समय तक उसका गढ़ रही है। आदमरपुर सीट पर हार ने कांग्रेस की रणनीति और उसकी एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इसकी वजह   आदमपुर बता दें कि आदमपुर उपचुनाव की पूरी भूपेंद्र हुड्‌डा, उनके बेटे दीपेंद्र हुड्‌डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने संभाली हुई थी। स्टार प्रचारकों में कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला का नाम था, लेकिन वे उपचुनाव में प्रचार करने नहीं आए। ऐसे में इस हार को भूपिंदर सिंह हुड्डा को झटके और हाईकमान को इस संदेश के तौर पर देखा जा रहा है कि अकेले हुड्डा कैंप के भरोसे हरियाणा में फतह मिलना मुश्किल होगा।

            कुमारी सैलजा ने कहा कि उपचुनाव में स्थानीय फैक्टर हावी होते हैं। इस चुनाव में कई बातें थे। पहली बात तो ये चुनाव क्यों हुआ। जो कांग्रेस के थे वो कांग्रेस छोड़ गए। आज जनता भाजपा के खिलाफ है। ये सब हालात होते हुए कांग्रेस पार्टी को नेशनल पार्टी की तरह से लड़ना चाहिए। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सबकी पार्टी है। सब मिलकर कार्य करते हैं। पहले सब कार्यकर्ता होते हैं और फिर जनता ही नेता बनाती है, लेकिन इस चुनाव में सबको साथ लेकर नहीं चला गया।

            कुमारी सैलजा ने कहा कि चुनाव में सबको साथ लेकर चलने की कोई मीटिंग या प्लेटफार्म नहीं रखा गया। चुनाव के शुरू से ही लेकर अंत तक एक ही प्रकिया चली। कांग्रेस के उम्मीदवार जयप्रकाश एक ही बात कहते रहे कि वह (हुड्‌डा) मुख्यमंत्री बनेगा। राष्ट्रीय नेताओं की फोटो नदारद थी।

            सैलजा ने भूपेंद्र हुड्‌डा का बिना नाम लिए कहा कि चुनाव में यह प्रोजेक्ट किया गया कि पार्टी को कुछ लोग ही चला रहे हैं, जनता में ये संदेश दिया गया। कांग्रेस नेशनल पार्टी है। हरियाणा में लोग भारतीय जनता पार्टी से छुटकारा चाहते हैं और कांग्रेस को विकल्प समझ रही है। कांग्रेस पार्टी को इस बात को समझना चाहिए। यदि इन चीजों को नहीं देखेंगे तो लोग आकलन करते हैं।

जयप्रकाश का नामांकन दाखिल करवाते हुए भूपेंद्र हुड्‌डा, उदयभान और पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल।
जयप्रकाश का नामांकन दाखिल करवाते हुए भूपेंद्र हुड्‌डा, उदयभान और पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल

            कुमारी सैलजा ने कहा कि पार्टी संगठन है। पार्टी- पार्टी के ढंग से चलती है, किसी एक या दो की मर्जी से नहीं चलती, यह एक परिवार की पार्टी नहीं है। मुख्यमंत्री कौन बन रहा है, यह बात नहीं हो सकती। यदि बड़े परिपेक्ष्य में नहीं देखेंगे तो वो नुकसान हरियाणा की जनता का होगा, कार्यकर्ता का नुकसान होगा। नेताओं का क्या होगा, वह तो भी किसी पार्टी में चला जाता है।

            विधानसभा चुनाव 2019 में तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा के बीच टिकट आवंटन को लेकर तकरार हो गई। टिकट वितरण में भूपेंद्र हुड्‌डा की चली। इससे खफा होकर अशोक तंवर ने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद कुमारी सैलजा को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन वह भी तीन साल तक संगठन नहीं खड़ा कर सकी। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा समर्थक विधायक पार्टी की मीटिंग और कार्यक्रमों से नदारद रहे।

            हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के साथ तालमेल न बैठने के कारण हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के पद से 9 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद 27 अप्रैल को उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया। इसके बाद हुड्‌डा के कहने पर कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व विधायक उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनाया।

            हरियाणा में हिसार के आदमपुर उपचुनाव में भाजपा की जीत के बाद अब कांग्रेसी अपने गणितीय फॉर्मूले के आधार पर हार पर सफाई दे रहे हैं। कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि इसी गणितीय फॉर्मूले के हिसाब से आदमपुर में कांग्रेस मजबूत हुई। कुलदीप बिश्नोई के जाने से उनके केवल 11 हजार वोट ही कम हुए है।