डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पलवल, 1नवंबर, :
दुनिया भर में प्रतिरोधी बैक्टीरिया के तेजी से उभार को देखा जा रहा है, जिसके कारण उन एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावशीलता घटने का खतरा है जिन्होंने लाखों लोगों की जान बचाई है। रोगाणुरोधी के लिए जीवाणु प्रतिरोध में वृद्धि से गंभीर संक्रमण, जटिलताएं, लंबे समय तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता और मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, स्वास्थ्य प्रणालियों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए एंटीबायोटिक प्रतिरोध की लागत बढ़ जाती है।
डॉ. विजय सहरावत के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं का अनुचित उपयोग एंटीबायोटिक प्रतिरोधी सूक्ष्म जीवों के प्रसार को तेज करता है। प्रतिरोधी रोगाणु अलग-अलग तरीकों से लोगों, जानवरों और पर्यावरण के बीच फैल सकते हैं और गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इन संक्रमणों का इलाज मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं से नहीं किया जा सकता। चूंकि हमें नए एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता है, ऐसे में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के तरीके को बदलना महत्वपूर्ण है। यदि एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति हमारा व्यवहार नहीं बदलता है, तो नई एंटीबायोटिक्स भी अंततः अप्रभावी हो जाएंगी। यदि हम एंटीबायोटिक दवाओं का उचित उपयोग करते हैं, तो एंटीबायोटिक्स फिर से बैक्टीरिया को प्रभावी ढंग से मार सकते हैं। एंटीबायोटिक दवाओं का अनावश्यक उपयोग एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ा रहा है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध का प्रसार रोकने और नियंत्रित करने के लिए, जरूरी है कि एंटीबायोटिक्स तभी लिए जाएं जब चिकित्सक उनकी सिफारिश करे। किसी मित्र या परिवार के किसी सदस्य के कहने पर एंटीबायोटिक दवा लेना खतरनाक साबित हो सकता है। इन दवाओं को लेना है या नहीं, यह निर्णय सिर्फ इलाज करने वाले चिकित्सक पर छोड़ना चाहिए।