Monday, December 23
  • -बी-फास्ट का अर्थ है बी- संतुलन की हानि, ई-दृष्टि का बिगडऩा,
  • एफ- चेहरे का उतरना, ए-बाजुओं में  कमजोरी,
  • एस- बोलने में कठिनाई और टी- समय न गंवाएं

राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, मोहाली  –  28 अक्टूबर:

            विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्ट्रोक मृत्यु दर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है और इसी से विश्व स्तर पर हर साल लगभग 60 लाख लोगों की जान जाती है। जबकि इसे बुजुर्गों को प्रभावित करने वाली बीमारी माना जाता है, भारत में होने वाले 10-15 फीसदी स्ट्रोक के मामले 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों को प्रभावित करते हैं। लैंसेट स्टडी के अनुसार, 2019 में भारत में स्ट्रोक से संबंधित लगभग 7 लाख मौतें हुईं-जो कि उस वर्ष देश में हुई कुल मृत्यु का 7.4 प्रतिशत हिस्सा था। छह में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में स्ट्रोक का शिकार होता है। यह बात फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के न्यूरोलॉजी विभाग,के एडिशनल डायरेक्टर डॉ एचएस मान ने विश्व स्ट्रोक दिवस के मौके पर आयोजित एक विशेष सत्र के दौरान बताई। इस दौरान उन्होंने ब्रेन स्ट्रोक के कारणों, लक्षणों, सावधानियों और उपचार के विकल्पों के बारे में जानकारी भी साझा की। इस वर्ष का थीम पावर ऑफ सेविंग प्रीसियस टाईम है।


            डॉ एचएस मान ने बताया कि स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त संचार अवरुद्ध हो जाता है या जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे रक्त के प्रवाह में कमी और ऑक्सीजन की कमी के कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं की मृत्यु हो सकती है। डॉ मान ने कहा कि स्ट्रोक एक चिकित्सा आपात स्थिति है और इसके लिए तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक को ट्रिगर करने वाले प्रमुख कारणों में खराब नियंत्रित उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, मोटापा, धूम्रपान, अधिक शराब शामिल हैं, इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ मान ने कहा, स्ट्रोक के लक्षणों में-बी-फास्ट पर आधारित है जिसका अर्थ है बी- संतुलन की हानि, ई-दृष्टि का बिगडऩा, एफ- चेहरे का उतरना, ए-बाजुओं में  कमजोरी, एस- बोलने में कठिनाई और टी- समय न गंवायें।


            गोल्डन ऑवर के महत्व पर, डॉ मान ने कहा, स्ट्रोक में समय की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है क्योंकि मस्तिष्क की कोशिकाओं को एक मिनट के लिए ऑक्सीजन की कमी के परिणामस्वरूप 1.8 मिलियन न्यूरॉन्स की अपूरणीय क्षति होती है। इंट्रावीनस थ्रोम्बेक्टोमी के साथ या उसके बिना मैकेनिकल थ्रोम्बोलिसिस (4-5 घंटों के भीतर) के साथ स्ट्रोक केंद्र में तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।


            डॉ मान ने कहा कि कुछ जीवनशैली में बदलाव लाकर स्ट्रोक को रोका जा सकता है, किसी के रक्तचाप को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि बीपी में कोई भी वृद्धि स्ट्रोक होने की संभावना को बढ़ा सकती है। धूम्रपान बंद करने और शराब का सेवन कम करने के अलावा, अपने मधुमेह पर नियंत्रण रखना सुनिश्चित करें। शारीरिक व्यायाम आवश्यक है क्योंकि यह शरीर में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करती है और आपके वजन को नियंत्रण में रखती है। नियमित जांच करानी चाहिए क्योंकि इससे हृदय संबंधी समस्याओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है।