डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चण्डीगढ़ :
आर्य समाज सेक्टर 7-बी में प्रवचन के दौरान आचार्य चंद्रदेव ने कहा कि आहार सदा शुद्ध, शाकाहारी एवं संतुलित होना चाहिए। हमारे शरीर का आधार नाभि है। जठराग्नि हमारी पाचन क्रिया को सही रखते हुए रस, रक्त, मांस, मज्जा, अस्थि, आदि धातुओं में परिवर्तित करती है। ब्रह्मचारियों और ब्रह्मचारणियों को जीवन में संयम रखना चाहिए।
वेद का मंत्र कहता है कि ब्रह्मचर्य के द्वारा विद्वान लोग मृत्यु तक को भगा देते हैं। महाभारत काल में भीष्म पितामह जब मृत्यु शैया पर लेटे हुए थे तब सूर्य दक्षिणायन की ओर था। उन्होंने कहा था कि जब तक सूर्य उत्तरायण में नहीं होगा तब तक वे शरीर नहीं छोड़ेगे। ब्रह्मचर्य के पालन से ही व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को निखार सकता है। इसी से वह बलिष्ठ और सदाचारी होता है। बिना सदाचार के ब्रह्मचर्य का पालन संभव नहीं है । धर्म के मूल में ही शरीर विद्यामान होना जरूरी है। इसके बिना धर्म संभव नहीं है। आचार्य विजयपाल शास्त्री ने भजन प्रस्तुत किये।
इस मौके पर चंडीगढ़ पंचकूला और मोहाली से काफी संख्या में लोग मौजूद थे।