Monday, December 23

विनोद कुमार/सरोज बाला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

            चंडीगढ़ कांग्रेस के निर्वाचित पार्षदों की आज यहाँ काग्रेंस भवन सैक्टर 35 में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की अगुआई में हुई एक बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि चण्डीगढ़ काग्रेंस के सभी पार्षद कल की नगर निगम की बैठक का पूर्णतया  बहिष्कार करेंगे. बहिष्कार का यह निर्णय केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित द्वारा चण्डीगढ़ में लागू पंजाब नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए भाजपा के पदाधिकारियों को मनोनीत पार्षदों के रूप में नामित करने के फैसले का विरोध प्रकट करने के  लिए लिया गया है. बैठक में पार्षद गुरबख्श रावत, गुरप्रीत सिंह गाबी, जसबीर बन्टी, दर्शना के अलावा पार्षद निर्मला देवी के स्थान पर उनके पति दिलावर सिंह मौजूद थे. पांचवे पार्षद सचिन गालव ने फोन के ज़रिए प्रस्ताव को अपनी सहमति दी.

            बैठक में पारित प्रस्ताव में भाजपा से सम्बन्धित 9 नामांकित पार्षदों को मनोनीत करने के फैसले को चण्डीगढ़ के लोगों से किया एक धोखा करार देते हुए कहा गया कि प्रशासन का यह फैसला 2021 के नगर निगम चुनाव में दिए गए चण्डीगढ़ वासियों के जनादेश को हाईजैक करने के समान है, जिससे भाजपा अलोकतांत्रिक ढ़ंग से नगर निगम पर पूरा कब्जा करना चाहती है, ताकि वह अपने जनविरोधी और भ्रष्ट तन्त्र के द्वारा शहर के संसाधनों की लूट जारी रख सके.  

            काग्रेंस के पार्षदों ने एक सुर में कहा कि चंडीगढ़ के लिए लागू पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट 1994 में प्रावधान है कि निगम में नामांकन केवल उन व्यक्तियों में से होना चाहिए जिन्होंने सार्वजनिक मामलों में नाम कमाया हो और अपने कार्यक्षेत्र में प्रतिष्ठित हों या जिन्हें नगरपालिका प्रशासन के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव हो. पार्षदों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि नामांकित पार्षदों का मनोनयन चण्डीगढ़ के हितों को ध्यान में रख कर नहीं बल्कि भाजपा के विध्वंसकारी एवं जनविरोधी एजेण्डे को पोषित करने के लिए किया गया है और प्रशासन का यह  फैसला सिर्फ भाजपा के भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा देगा.  उन्होंने कहा कि भाजपा के आठ कार्यकर्ताओं के इस तरह से मनमर्जी भरे नामांकन होने से एक बार फिर पता चला है कि प्रशासन ने उस भाजपा के प्रभाव में काम किया है, जो देश में लगातार सभी संवैधानिक और वैधानिक प्राधिकरणों को कमजोर करने के साथ साथ विभिन्न समुदायों में आपसी भाईचारे को चोट पहुंचाने में  लगी हुई है. 

            पार्षदों ने यह कहा कि 2021 के चण्डीगढ़ नगर निगम चुनावों में अगर  सभी 35 वार्डों में डाले गए वोटों की  गिनती के अनुसार सारे शहर में सामूहिक रुप में काग्रेंस को सबसे ज्यादा वोटें प्राप्त हुई थी, हालांकि सीटों के लिहाज़ से आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी. परन्तु नामांकन करते हुए इन दोनों पार्टियों की राय को पूरी तरह से नज़रअन्दाज़ कर दिया गया है, जो प्रशासन के तानाशाही भरे रवैये की तरफ इशारा करता है. नामांकन का यह फैसला निगम को और कमजोर कर  सकता है, जिससे शहर के विकास की गति में बाधा आ सकती  है. कांग्रेसी पार्षदों ने प्रशासक से चंडीगढ़ के लोगों के हित में, भाजपा के नाजायज़ दबाव में लिए गए अपने मनमाने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए कहा है.