आजम खान की तीन साल की सजा के साथ आजम की विधायकी भी जाएगी?
भड़काऊ भाषण देने के मामले में समााजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान को 3 साल की जेल की सजा सुनाई गई और 25 हजार जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि उन्हें जमानत मिल गई है। सजा बरकरार रहने पर आजम खान को विधान सभा की सदस्यता छोड़नी पड़ेगी। दो साल से ज्यादा की सजा होने पर एमपी/एमएलए की सदस्यता खत्म हो जाती है। रामपुर कोर्ट ने आज ही दोषी करार दिया था। कोर्ट ने धारा 125, 505 और 153 ए तहत दोषी करार दिया था। गौर हो कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान रामपुर में एक चुनावी सभा मे भाषण के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।
- आजम खा को भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा हुई है
- कोर्ट ने धारा 125, 505 व 153 ए तहत दिए गए दोषी करार दिया था
- आजम खान को विधान सभा की सदस्यता छोड़नी पड़ेगी
- सजा के बाद भी आजम खान के पास है विकल्प
- यदि कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका स्वीकार कर ले तो …
- हाई कोर्ट का रुख कब कर सकेंगे आजम खान
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, नई दिल्ली/लखनऊ :
हेट स्पीच मामले में समाजवादी विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान को उत्तर प्रदेश के रामपुर की एमपीएमएलए की विशेष अदालत ने 3 साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई है। लेकिन उनके पास अभी भी कुछ विकल्प बचे हैं। अपनी स्पीच में आजम खान ने न सिर्फ पीएम नरेन्द्र मोदी पर बल्कि रामपुर के तत्कालीन डीएम पर भी बेहद अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था। आजम खान को सजा सुनाए जाने के बाद रामपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
कानून के जानकारों ने बताया कि आजम खान, इस फैसले को लेकर निचली कोर्ट की शरण ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक जमानत याचिका दाखिल करनी होगी। यदि निचली अदालत इस याचिका को स्वीकार कर लेती है तो आजम खान के जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो सकता है। इसके अलावा यदि कोर्ट उनकी जमानत याचिका खारिज कर देता है, तो फिर आजम खान हाई कोर्ट का रुख कर सकेंगे। हालांकि आजम खान 60-90 दिनों में इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं। अगर कोर्ट के इस फैसले पर स्टे नहीं लगाती है तो आजम खान को कोई राहत नहीं मिलेगी।
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले आजम अखिलेश सरकार में मंत्री थे तब उनके ऊपर महज एक मामला दर्ज था। इस वक्त 80 से ज्यादा मामलों में आजम आरोपी हैं। आजम को पहली बार किसी मामले में दोषी ठहराया गया है। आखिर ये पूरा मामला क्या है? आजम पर कुल कितने और कैसे-कैसे मामले दर्ज हैं? उनके परिवार के बाकी सदस्यों पर कितने मामले हैं? अब तक आजम और उनके परिवार के सदस्य कितने दिन जेल में बिता चुके हैं?
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम खां ने मिलक कोतवाली इलाके के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित किया था। इस जनसभा के दौरान उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा। आरोप था कि उनके बयान से दो वर्गों में नफरत फैल सकती थी। जिसका वीडियो वायरल हुआ था।
भाषण का वीडियो वायरल होने के बाद वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान ने मिलक कोतवाली में मामला दर्ज कराया। इस मामले में आजम पर आईपीसी की धारा 153-ए, 505-ए और 125 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ। मामले की सुनवाई के बाद एमपी-एमएलए (मजिस्ट्रेट ट्रायल) निशांत मान की कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया। कोर्ट ने आजम को इसके लिए तीन साल की सजा और छह हजार जर्माने की सजा सुनाई।
लोक-प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के मुताबिक, अगर किसी नेता को दो साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो उसे सजा होने के दिन से उसकी अवधि पूरी होने के बाद आगे छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान है। अगर कोई विधायक या सांसद है तो सजा होने पर वह अयोग्य ठहरा दिया जाता है। उसे अपनी विधायकी या सांसदी छोड़नी पड़ती है। आजम को तीन साल की सजा हुई है। ऐसे में उनकी विधायकी जाना लगभग तय है।
नहीं, 2013 के पहले ऐसा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में इस अधिनियम को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दिया था। इस प्रावधान के मुताबिक, आपराधिक मामले में (दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस सूरत में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। यानी धारा 8(4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करता है। इसके बाद से किसी भी कोर्ट में दोषी ठहराए जाते ही नेता की विधायकी-सासंदी चली जाती है।
2022 में हुए विधानसभा चुनाव में दिए हलफनामे के मुताबिक आजम, उनकी पत्नी और विधायक बेटे पर कुल 165 आपराधिक मामले दर्ज हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 2017 तक इस परिवार के तीनों सदस्यों में से सिर्फ आजम खान पर एक मुकदमा दर्ज था।
आजम खान, उनके बेटे और पत्नी ने जो हलफनामे दाखिल किए थे, उनके मुताबिक आजम पर कुल 87 मामले, अब्दुल्ला आजम पर 43 और तजीन फातिमा पर 35 मामले दर्ज हैं। तीनों पर मिलाकर कुल 165 केस दर्ज हैं। हालांकि, अब ये संख्या और बढ़ चुकी है। चुनाव प्रचार के दौरान और इसके बाद भी आजम पर दर्ज होने वाले मामलों में इजाफा हुआ। अब ये संख्या 90 को छू चुकी है।
फर्जी पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने के मामले में 26 फरवरी 2020 को आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की अदालत में आत्मसमर्पण किया था। रामपुर जेल में एक रात गुजारने के बाद तीनों को सीतापुर जेल भेज दिया गया। करीब दस महीने जेल में रहने के बाद 20 दिसंबर 2020 को आजम की पत्नी जमानत पर बाहर आईं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम करीब 23 महीने जेल में रहने के बाद 16 जनवरी 2022 को रिहा हुए।
आजम खान सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने पर 27 महीने बाद 20 मई 2022 को जेल से रिहा हुए। तब उनके ऊपर दर्ज केसों की संख्या 89 हो चुकी थी। बीते अगस्त में भी उनके ऊपर एक केस दर्ज हुआ। यानी, आजम पर दर्ज मामलों की संख्या 90 पहुंच गई।
परिवार के तीनों सदस्यों पर सबसे ज्यादा मामले 2006 में जौहर यूनिवर्सिटी के लिए किसानों की जमीन पर जबरन कब्जा करने के हैं। इसी यूनिवर्सिटी के लिए तीनों पर शत्रु संपत्ति की जमीन को जौहर यूनिवर्सिटी में मिलाने और सरकारी जमीन पर कब्जा करने के भी आरोप हैं। आजम परिवार के तीनों सदस्यों पर अब्दुल्ला आजम का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का भी आरोप है।
तजीन पर रामपुर पब्लिक स्कूल के लिए फर्जी फायर एनओसी लगाने और बिजली चोरी का आरोप है। अब्दुल्ला पर चुनाव में झूठी जानकारी देने का आरोप है। अब्दुल्ला आजम और आजम खान पर मदरसे से किताबें चुराने और टोल पर पुलिस के साथ बदसलूकी करने का भी आरोप है।
आजम खान के 2017 के हलफनामे के मुताबिक, उस वक्त उन पर सिर्फ एक केस दर्ज था। हलफनामे में आजम ने बताया था कि उन पर चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने का मामला चल रहा है। यानी, 2019 में भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी ठहराए गए आजम पर 2017 में चल रहा इकलौता मामला भी भड़काऊ भाषण देने का ही था।