पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 26 अक्टूबर 22 :
नोटः आज अन्नकूट गोवर्धन पूंजा, गोक्रीड़ा, बलिपूजा है।
आज यानी 26 अक्टूबर को भाई दूज और गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। वैसे तो दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन इस साल सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन न होकर 26 अक्टूबर को की जा रही है। ऐसे में गोवर्धन पूजा और भाई दूज एक ही दिन मनाए जाएंगे। गोवर्धन पूजा के दौरान भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। वहीं भाई दूज के दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु कामना करती हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन यमलोक के लिपिक का कार्य करने वाले देवता चित्रगुप्त, कलम-दवात, पंजिका का भी पूजन किया जाता है।
अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई है। इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते है। उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
अन्नकूट: नए अनाज का लगता है भोग इस दिन भगवान के निमित्त छप्पन भोग बनाया जाता है। कहते हैं कि अन्नकूट महोत्सव मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। अन्नकूट महोत्सव इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन नए अनाज की शुरुआत भगवान को भोग लगाकर की जाती है।
मान्यता है कि इस दिन यम अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे। ऐसे में जो बहने शादी-शुदा हैं उनके भाईयों को अपनी बहन के घर जाना चाहिए। कुंवारी लड़कियां घर पर ही भाई का तिलक करें। भाई दूज के दिन सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पूजा अवश्य करनी चाहिए। वहीं भाई का तिलक करने के लिए पहले थाली तैयार करें उसमें रोली, अक्षत और गोला रखें तत्पश्चात भाई का तिलक करें और गोला भाई को दे दें। फिर प्रेमपूर्वक भाई को मनपसंद का भोजन करवाएं। उसके बाद भाईयों को भी अपनी बहन से आशीर्वाद लेना चाहिए और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ उपहार देना चाहिए।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः कार्तिक़,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः प्रतिपदा दोपहर 2.43 तक है,
वारः बुधवार।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः स्वाती दोपहर 01.24 तक है,
योगः प्रीति प्रातः 10.08 तक,
करणः बव,
सूर्य राशिः तुला, चंद्र राशिः तुला,
राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.33, सूर्यास्तः 05.37 बजे।