सीएम बिस्व सरमा ने कहा किराज्य के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए। जब मैंने मिया शायरी के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्होंने मुझे सांप्रदायिक कहा। अब मिया कविता, मिया स्कूल, मिया संग्रहालय यहां हैं। कार्यालय खुलने के बाद मामले पर सरकार कार्रवाई करेगी। रिपोर्टों के अनुसार, ‘मियाँ’शब्द का इस्तेमाल उन मुस्लिमों के लिए किया जाता है जो बंगाल से माइग्रेट कर गए थे और 1890 के दशक के अंत में असम में बस गए। अंग्रेजों ने उन्हें कथित तौर पर व्यावसायिक खेती के लिए उन्हें खरीदा था।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, असम/नयी दिल्ली (ब्यूरो) :
असम के गोलपारा जिला में मिया म्यूजियम का उद्घाटन किया गया है। जिसके बाद इसको लेकर काफी विवाद बढ़ गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने संग्रहालय के फंडिंग को लेकर सवाल उठाया है। इसके बाद जिला प्रशासन ने संग्राहलय को सील कर दिया है। मिया संग्रहालय के दरवाजे पर एक नोटिस चस्पा किया गया है।
असम के गोलपारा जिला प्रशासन ने मंगलवार को ‘मियाँ संग्रहालय’ को सील कर दिया। आरोप है कि संग्रहालय ने भूमि और संपत्ति कानूनों का उल्लंघन किया है। अधिकारियों के अनुसार, ‘संग्रहालय’ एक घर के अंदर है, जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) फंड का उपयोग करके बनाया गया था। संग्रहालय का उद्घाटन 23 अक्टूबर को दपकरभिता गाँव में किया गया था।
वहीं पूर्वोत्तर के पत्रकार हेमंत कुमार नाथ ने कहा, “उपायुक्त, गोलपारा, असम ने गाँव दपकरभिता के मोहर अली पुत्र सोमेश अली के घर को सील कर दिया। यह एक प्रधानमंत्री आवास योजना घर था। यह वही घर था जहाँ 23 अक्टूबर को एक निजी ‘मियाँ संग्रहालय’ का उद्घाटन किया गया था।”
प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई से एक दिन पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने संग्रहालय की फंडिंग पर सवाल उठाया था।
संग्रहालय के बारे में बोलते हुए, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “मुझे समझ में नहीं आता कि यह किस तरह का संग्रहालय है। संग्रहालय में उन्होंने जो हल रखा है, उसका उपयोग असमिया लोग करते हैं, यहाँ तक कि मछली पकड़ने के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तुएँ भी असमिया समुदाय से हैं। इसमें नया क्या है? ‘लुंगी’ को छोड़कर वहाँ रखी गई हर चीज असमिया लोगों की है। उन्हें यह साबित करना होगा कि नंगोल (हल) का उपयोग केवल मिया लोग करते हैं, अन्य नहीं। अन्यथा, मामला दर्ज किया जाएगा।”
सरमा ने कहा, “संग्रहालय में केवल पारंपरिक वस्तुएँ हैं जो पूरे असमिया समाज की संस्कृति को दर्शाती हैं न कि मियाँ समुदाय की।”
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “राज्य के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए। जब मैंने मियाँ शायरी के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्होंने मुझे सांप्रदायिक कहा। अब मियाँ कविता, मियाँ स्कूल, मिया संग्रहालय यहाँ हैं… सरकार कार्यालय खुलने के बाद मामले पर कार्रवाई करेगी।”
इससे पहले, राज्य में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने संग्रहालय खोलने वालों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की थी, जिन्होंने जिले में ‘प्रवासी मुसलमानों की संस्कृति’ को प्रदर्शित करने का दावा किया था। डिब्रूगढ़ के भाजपा विधायक प्रशांत फुकन संग्रहालय के खिलाफ आवाज उठाने वालों में सबसे पहले थे। उन्होंने कहा था, “मैं राज्य सरकार से इस संग्रहालय को बंद करवाने का अनुरोध करता हूँ।” भाजपा विधायक शिलादित्य देव ने भी संग्रहालय स्थापित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की थी।
रिपोर्टों के अनुसार, ‘मियाँ’शब्द का इस्तेमाल उन मुस्लिमों के लिए किया जाता है जो बंगाल से माइग्रेट कर गए थे और 1890 के दशक के अंत में असम में बस गए। अंग्रेजों ने उन्हें कथित तौर पर व्यावसायिक खेती के लिए उन्हें खरीदा था।