Tuesday, December 24

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 21 अक्टूबर 22 :

नोटः आज रमाएकादशी व्रत गोवत्स द्वादशी तथा कौमुदि महोत्सव प्रारम्भ है।

रमा एकादशी की कथा Rama Ekadashi vrat katha : कथा के ब‍िना नहीं पूर्ण होता  लक्ष्‍मी जी का रमा एकादशी व्रत, पढ़ें पौराण‍िक कथा, Rama Ekadashi vrat  katha in hindi
आज रमाएकादशी व्रत

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल 21 अक्टूबर (शुक्रवार) को रमा एकादशी व्रत रखा जाएगा। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

गोवत्स द्वादशी

गोवत्स द्वादशी, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की द्वादशी गोवत्स (गाय का बछड़ा) के रूप में मनाई जाती है। गोवत्स द्वादशी को नंदिनी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। नंदिनी हिंदू धर्म में दिव्य गाय है। इस दिन गाय बछड़े को पूजने का विधान है। पूजने के बाद उन्हें गेहूँ से बने पदार्थ खाने को देने चाहिए। इस दिन गाय का दूध व गेहूँ के बने पदार्थो का प्रयोग वर्जित है। कटे फल का सेवन नहीं करना चाहिए। गोवत्स क कहानी सुनकर ब्राह्मणों को फल देने चाहिए।

कौमुदि महोत्सव प्रारम्भ

कौमुदी पर्व एक तरफ ऋतु परिवर्तन तो दूसरी तरफ बौद्धिक विकास और विभिन्न प्रकार की कलाओं में निपुणता प्राप्त करने के संकेत भी प्रस्तुत करता है। इसे मानव सुशिक्षित व नम्र हो जीवन जीने की भिन्न-भिन्न कलाओं में दक्षता प्राप्त करता है। जीवन के अन्तिम लक्ष्य मोक्ष को भी सहज ही प्राप्त कर लेता है। इस पर्व को ऋतुराज के नाम से भी संबोधित किया जा सकता है। क्योंकि इस दौरान भी प्रक्रति का रंग अपने चरम को छूता दिखाई देता है। इस उत्सव के दौरान पेड़-पौधों में अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे फूल भी खिल उठते हैं। खेतों मे फसलों का अलग रंग दिखाई पड़ता है। मंद-मंद बहती ठंडी हवा ओर व खिली हुई चांदनी सभी का मन मोह लेती है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः कार्तिक़, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः एकादशी सांय 5.23 तक है,

वारः शुक्रवार।  

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः मघा दोपहर 12.28 तक है, 

योगः शुक्ल सांय 05.46 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः तुला, चंद्र राशिः सिंह, 

राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक

सूर्योदयः 06.30, सूर्यास्तः 06.41 बजे।