- बहुत सी सहूलतें और सुविधाएं लेने में होगी आसानी
राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
पंजाब सरकार ने पारिवारिक विभाजन करने की प्रक्रिया को असरदार और प्रभावी बनाने के लिए एक वैबसाईट शुरू कर दी है, जिसके द्वारा कोई भी खेवटदार अपनी साझी खेवट सम्बन्धी सभी पक्षोंं की सहमति से तैयार विभाजन के दस्तावेज़ शामिल करके आवेदन वैबसाईट पर अपलोड कर सकता है। इस वैबसाईट की शुरुआत बीते दिनों मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा की गई है।
वैबसाईट के शुरू होने के बाद पारिवारिक विभाजन के फ़ायदों बाबत जानकारी देते हुए राजस्व मंत्री ब्रम शंकर जिम्पा ने बताया कि इससे सीमा-रेखा करवानी सुविधाजनक होगी। ज़मीन की खरीद-बिक्री में आसानी होगी। अलग खाते होने से आपसी झगड़ों में कमी आयेगी। फसलों के खराबे का मुआवज़ा लेना आसान होगा। इसके अलावा जमाबन्दी की नकल सस्ती प्राप्त की जा सकेगी। हिस्सेदारों के नाम दर्ज रहने से अदालतों के हुक्मों से निजात मिलेगी।
राजस्व मंत्री ने बताया कि ज़मीन का मालिक अपनी पारिवारिक विभाजन सम्बन्धी आवेदन वैबसाईट https://eservices.punjab.gov.in पर दर्ज कर सकता है और अपने आवेदन की स्थिति भी जान सकता है। आवेदनकर्ता इस वैबसाईट पर अपना नाम, पिता/पति का नाम, गाँव का नाम, सब-तहसील/ तहसील, जि़ला, खाता और खेवट नंबर के विवरणों समेत आवेदन देकर अप्लाई कर सकते हैं। आवेदनकर्ता को ज़मीन के सभी हिस्सेदारों द्वारा दस्तखत किया प्रस्तावित विभाजन का एक मैमोरंडम और ज़मीन के विभाजन को दिखाता फील्ड मैप भी देना होगा।
इसके बाद सम्बन्धित सर्कल राजस्व अधिकारी द्वारा कार्यवाही करने के उपरांत यह ऑनलाइन आवेदन कानूनगो इंचार्ज और फिर सम्बन्धित पटवारी को भेजे जाएगें। राजस्व रिकॉर्ड के साथ मैमोरंडम के सभी तथ्यों को सत्यापित करने के बाद पटवारी सम्बन्धित पक्ष को कार्यवाही के लिए निजी तौर पर उपस्थित होने और इंतकाल दर्ज करने के लिए बुलाएगा। इंतकाल दर्ज करने के बाद सम्बन्धित पटवारी इसको सत्यापित करने के लिए कानूनगो के समक्ष पेश करेंगे और फिर अंतिम आदेशों के लिए सम्बन्धित सीआरओ (सहायक क्लैकटर ग्रेड-2 के समक्ष पेश करेंगे। इंतकाल को सत्यापित करने के बाद हरेक आवेदन के लिए वैबसाईट पर संक्षिप्त ऑर्डर दर्ज किया जायेगा।
वैबसाईट का प्रयोग करने सम्बन्धी सारी प्रक्रिया वैबसाईट पर भी अपलोड की गई है। राजस्व मंत्री ब्रम शंकर जिम्पा ने कहा है कि इस सेवा का अधिक से अधिक लोगों को फ़ायदा होगा और जटिल हो चुके राजस्व रिकॉर्ड को भी सरल किया जा सकेगा।