डेमोक्रेटिक फ्रंट समवाददाता, चंडीगढ़ – 15 अक्टूबर :
सेक्टर-46 स्थित पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग और राजनीति विज्ञान विभाग ने श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर) नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित समकालीन भारत में श्री अरबिंदो के राष्ट्रवाद के दर्शन की प्रासंगिकता विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। कॉलेज की प्राचार्य डॉ आभा सुदर्शन ने अतिथियों का स्वागत किया और स्वराज शब्द का उपयोग करने वाले पहले भारतीय राजनीतिक नेता श्री अरबिंदो के दर्शन पर प्रकाश डाला। पंजाब विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर पंपा मुखर्जी ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि श्री अरबिंदो ने मानवता के भाग्य के संदर्भ में भारतीय राष्ट्र और राष्ट्रवाद की कल्पना की थी। उन्होंने भारत को सर्वोच्च आध्यात्मिक ज्ञान के जीवित अवतार और मानव जाति की उदात्त आध्यात्मिक उपलब्धियों के भंडार के रूप में देखा।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता पंजाब विश्वविद्यालय के कालिदास चेयर के पूर्व प्रोफेसर प्रो रमाकांत अंगिरस ने की। प्रोफेसर अंगिरस ने कहा कि श्री अरबिंदो के लिए राष्ट्रवाद का आध्यात्मिक उद्देश्य भारतीय विचार, भारतीय चरित्र, भारतीय धारणाओं, भारतीय ऊर्जा, भारतीय महानता को पुनर्प्राप्त करना और उन समस्याओं को हल करना है जो भारतीय भावना और भारतीय दृष्टिकोण से दुनिया को परेशान करती हैं। इस अवसर पर भारतीय विधि प्रणाली-समकालीन युग में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में न्याय की ओर खोज विषय पर एक विशेष अंक का विमोचन किया गया। राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ जीसी सेठी ने उद्घाटन सत्र के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।
पहले तकनीकी सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के दर्शनशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शिवानी शर्मा चेयरपर्सन और डीएवी कॉलेज सेक्टर-10 डी चंडीगढ़ के राजनीति विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ कंवलप्रीत कौर को-चेयरपर्सन थीं। दूसरे तकनीकी सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय सेक्टर-14 चंडीगढ़ के दर्शनशास्त्र विभाग के चेयरपर्सन ललन सिंह बघेल चेयरपर्सन और देश भगत यूनिवर्सिटी पंजाब के असिस्टेंट प्रोफेसर (पॉलिटिकल साइंस) डॉ कृष्ण कुमार रहे। इस अवसर पर कालेज के डीन डा राजेश कुमार व उप प्राचार्य डा. बलजीत सिंह भी उपस्थित थे। सेमिनार में 100 से अधिक संकाय सदस्यों और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ देश राज ने धन्यवाद ज्ञापन किया।