पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 15 अक्टूबर 22 :
नोटः स्कंद षष्ठी व्रत को दक्षिण भारत में प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन विधिवत तरीके से भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के साथ व्रत रखने से व्यक्ति को सभी कष्टों से छुटकारा मिसलने के साथ संतान सुख प्राप्त होता है। इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें और साफ व्रत धारण कर लें। भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। पूजा घर में जाकर विधिवत तरीके से पूजा करें।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः कार्तिक़,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः षष्ठी की वृद्धि है जो कि रविवार को प्रातः (07.04) तक है,
वारः शनिवार।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
नक्षत्रः मृगशिरा रात्रि 11.22 तक है, योगः वरीयान, दोपहरः 02.23 तक, करणः गर, सूर्य राशिः कन्या, चंद्र राशिः वृष, राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक, सूर्योदयः 06.18, सूर्यास्तः 06.04 बजे।