339 पंचायतों के मुखियाओं के लिए 7,32,125 मतदाता 925 बूथों पर 12 नवंबर को करेंगे वोटिंग
डिम्पल अरोड़ा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सिरसा :
डेढ़ वर्षों से खाली पड़े ग्राम पंचायत के मुखियाओं के पदों पर चुनाव का बिगुल बज गया है। 12 नवंबर को जिले में पंचायतों के चुनावों में वोटिंग होगी। जिले की 339 पंचायतों के सरपंचों के लिए सात लाख 32 हजार 125 मतदाता मतदान करेंगे। जिसके बाद 14 नवंबर को गांव के मुखिया और पंचों की पांच वर्ष की प्रधानी तय होगी। जिले में दूसरे चरण में चुनाव की घोषणा होते ही गांवों में हलचल होना शुरू हो चुकी है। जिले में इस वर्ष 108 पंचायतों को आरक्षित किया गया है।
सरकार की ओर से प्रदेश में तीन चरणों में पंचायती चुनावों का आयोजन किया जाएगा। सिरसा जिले की 339 पंचायतों का चुनाव दूसरे चरण में होगा। जिसके लिए प्रशासन की ओर से तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। चुनावों के लिए प्रशासन की ओर से 925 बूथ बनाए जाएंगे। यहां पर मतदाता पहुंचकर सरपंच और पंच के लिए अपना मतदान कर सकेंगे। जिले में सात लाख 32 हजार 125 मतदाता चुनावों में भाग लेंगे। जिनमें तीन लाख 89 हजार 133 पुरुष और तीन लाख 42 हजार 984 महिलाएं व आठ ट्रांसजेंडर भाग लेंगे। वहीं गांव में सर्व सम्मति से सरपंच व पंच चुने जाने पर सरकार की ओर से उस ग्राम पंचायत को 11 लाख रुपये की राशि दिए जाने का भी ऐलान किया गया है। हालांकि जिले में अभी एक ही ग्राम पंचायत की ओर से सर्व सम्मति से सरपंच को चुनावों से पहले ही चुना गया है। जबकि अन्य कई पंचायतों की ओर से भी सर्वसम्मति से सरपंच व पंच नियुक्त किए जाने को लेकर तैयारी की जा रही है।
182 अतिसंवेदनशील और 177 संवेदनशील बूथ हैं
पंचायत चुनावों के लिए प्रशासन की ओर से गांवों के अनुसार 925 बूथ बनाए गए हैं। इनमें से 177 बूथ संवेदनशील और 182 बूथ अतिसंवेदनशील की श्रेणी में डाले गए हैं। इन बूथों की सुरक्षा को लेकर भी प्रशासन की ओर से तैयारियां की जा रही है। संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त पुलिस बल भी लगाया जाएगा।
ब्लॉक, मतदाता, बूथ संवेदनशील, अतिसंवेदनशील
- सिरसा, 125865, 162, 7, 5
- बडागुढ़ा, 88540, 120, 39, 46
- डबवाली, 126084, 146, 10, 6
- ऐलनाबाद, 91273, 114, 33, 28
- नाथूसरी चोपटा , 119240, 145, 29, 47
- ओढां, 78973, 99, 5, 3
- रानियां, 102150, 139, 54, 47
गांवों में रुके थे विकास कार्य, अब मिल पाएगा गांवों को मुखिया
डेढ़ वर्ष पहले ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खतम होने के बाद गांव का कोई भी मुखिया नहीं था। जिसके कारण गांवों में विकास कार्य भी लंबे समय से अटके हुए थे। इस वर्ष बारिश अधिक होने के कारण गांवों में भी पानी जमा हो गया था। जिसकी निकासी करवाने के लिए ग्रामीणों को खुद के स्तर पर ही इंतजाम करने पड़े थे। ऐसे में अब गांवों में चुनाव होने के बाद गांव को मुखिया मिल पाएगा और गांव वासियों की समस्याओं का समाधान हो पाएगा।