सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 13 अक्तूबर :
स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन का आयोजन गणपति होटल मैनेजमेंट संस्थान, मारवाँ कलाँ, बिलासपुर में किया गया।इसमें मुख्य वक्ता प्रख्यात शिक्षाविद व अध्यक्ष यमुनानगर जगाधरी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, शिक्षाविद डॉक्टर एम॰के॰ सहगल रहें।
संस्थान के वाइस प्रेज़िडेंट अभिषेक पुरी व प्रिन्सिपल सन्तोष ने मुख्य वक्ता व सभी का स्वागत किया व कहा कि युवाओं को अपना लक्ष्य बड़ा निर्धारित कर उद्यमिता की भावना को जागृत करना चाहिए l पढ़ाई करने के बाद हर युवा नौकरी के बारे में ही क्यूँ सोचता है, जबकि नौकरियां सीमित है! अपनी मानसिकता में परिवर्तन कर विद्यार्थीकाल से ही उन्हें नौकरी मांगने की बजाय नौकरी देने वाला बनने की प्रेरणा दीं गयी।
डॉक्टर एम॰के॰ सहगल ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए अपना स्विच हमेशा ऑन करने को कहा व बताया कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास है ना कि सिर्फ़ सरकारी नौकरी लेना, हालाँकि हमने शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ़ नौकरी लेना समझ लिया है।जैसा सोचोग़े वैसा ही होगा व पैसे का इंतज़ाम तो फिर हो जाता है।उन्होंने सरकार की विभिन्न स्कीमों बारे भी जानकारी दीं।स्वदेशी अपनाकर व रोज़गार बढ़ाकर ही देश को संपन्न बना सकते है।होटल मैनेजमेंट के विद्यार्थी बेकरी व कन्फ़ेक्शनेरी, होम स्टेय, होटल, मोटल, ढाबा, बल्क किचन, मिठाई, इवेंट मैनेजमेंट, वेडिंग प्लानर व अन्य कई उद्योग स्थापित कर सकते हैं।
स्वावलंबी भारत अभियान के ज़िला समन्वयक व मैनेजमेंट गुरू डॉक्टर एम॰के॰ सहगल भी युवाओं को विभिन्न सफल उद्योगपतियों के उदाहरण से प्रेरित किया। धीरूभाई अंबानी के शब्दों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि यदि आप अपने सपनो को पूरा करने का काम स्वंय नहीं करेंगे, तो कोई दूसरा अपने सपने को पूरा करने के लिए आपका इस्तेमाल करेगा| स्टीव जोबस के शब्दों में कहा जाता है कि वो चीज जो सफल और असफल व्यवसायियों को अलग करती है|उसमें से 50प्रतिशत केवल “दृढ़ता ” हैं| डॉक्टर सहगल ने बताया कि आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये, बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए। औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने इन्ट्यूशन को मत डूबने दीजिए, वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो अभिषेक पुरी ने कहा कि उधमिता अर्जित कार्य है-उधमिता स्वाभाविक रूप से संगठन में विद्यमान नहीं होती, वरन प्रयास द्वारा अर्जित की जाती है। प्रत्येक व्यावसायिक संगठन में उधमिता नहीं होती, वरन साहसिक निर्णयों द्वारा उधमिता को व्यवहार में लाया जाता है। इसके लिये उद्यमी को लगातार प्रयत्न करने होते हैं।
सं साधनों का संयोजन तथा उपयोग-उधमिता द्वारा यत्र-तत्र बिखरे संसाधनों को संयोजित कर दक्षता पूर्वक उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय में उत्पादन के विभिन्न साधन यथा-भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन आदि विभिन्न व्यक्तियों के पास होते हैं। उद्यमी इन संसाधनों को एकत्रित करता है तथा उनमें संयोजन कर उत्पादन प्रक्रिया आरंभ करता है।युवाओं को जल्दी कमाना सीखना होगा व आत्मनिर्भर बनना ज़रूरी है।मंच का संचालन प्रिन्सिपल सन्तोष ने किया व 100 से अधिक विद्यार्थी ने भाग लिया। इस अवसर पर डॉक्टर एम॰के॰ सहगल, विनोद पुरी, अभिषेक पुरी, एन॰के॰ पुरी, संतोष व स्टाफ़ के सदस्य उपस्थित रहे l