पंजाब पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया था कि तजिंदर पाल सिंह बग्गा के खिलाफ आपत्तिजनक और भड़काऊ बयानबाजी को लेकर FIR दर्ज हुई है। जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी की जा रही है। हालांकि, पंजाब पुलिस को फिर भी बग्गा की गिरफ्तारी का आदेश नहीं मिला। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तजिंदर बग्गा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 12 अक्तूबर :
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आआपा) के पूर्व नेता कुमार विश्वास और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा के खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा अलग-अलग मामलों में दर्ज प्राथमिकियों को बुधवार को खारिज कर दिया।
‘आआपा’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कथित भड़काऊ बयानों को लेकर पंजाब की रूपनगर पुलिस ने कुमार विश्वास के खिलाफ मामला दर्ज किया था। वहीं, अप्रैल में मोहाली में भड़काऊ बयान और आपराधिक धमकी देने के आरोपों में बग्गा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
कुमार विश्वास पर रोपड़ में केस दर्ज किया गया था। जिसमें आरोप लगाया गया कि कुमार ने अरविंद केजरीवाल को खालिस्तान समर्थक बताया। उनके इस बयान की वजह से पार्टी की छवि खराब हुई। केस दर्ज करवाने वाले का कहना था कि इसकी वजह से वह प्रचार करने गए तो उन्हें खालिस्तान समर्थक कहा गया। केस दर्ज होने के बाद पंजाब पुलिस कवि के गाजियाबाद स्थित घर भी पहुंची। उन्हें नोटिस भेज जांच में शामिल होने कहा था। जिसके खिलाफ कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी।
कुमार विश्वास ने ट्वीट कर एक बार फिर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “सरकार बनते ही मुझ पर FIR करके असुरक्षित आत्ममुग्घ बौने ने जो पंजाब-पुलिस मेरे घर भेजी थी उस बेबुनियाद FIR को आज उच्च न्यायालय पंजाब ने खारिज कर दिया। न्यायपालिका व मुझे प्यार करने वालों का आभार। प्यारे अनुज भगवंत मान को पुनः सलाह कि पंजाब के स्वाभिमान को बौनी-नज़रों से बचाए।”
एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए बग्गा की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मयंक अग्रवाल और गौतम दत्त के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस राय और चेतन मित्तल ने दलील दी थी कि प्राथमिकी दर्ज करना पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण था। जबकि, एक अन्य याचिका में, कुमार विश्वास ने 26 अप्रैल को हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसमें पंजाब पुलिस द्वारा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ बयान देने के लिए उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की गई थी।
बुधवार को हाईकोर्ट ने इस संबंध में फैसला सुनाया। बग्गा मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि यह ट्वीट पंजाब में आकर नहीं किए गए। वहीं उनके ट्वीट भड़काऊ नहीं हैं। राजनीतिक लोग जिस तरह एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते हैं, इससे कोई उन्माद नहीं फैलता।