सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 10 अक्तूबर :
डीएवी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की ओर से विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के उपलक्ष्य में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसका पथ प्रदर्शन कार्यवाहक प्राचार्य डॉ मीनू जैन के द्वारा किया गया व कार्यक्रम का संचालन मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष शालिनी छाबड़ा के द्वारा किया गया।
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए तनाव प्रबंधन कौशल विकास कार्यक्रमए स्लोगन लेखन प्रतियोगिता और नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया।
विभागाध्यक्ष शालिनी छाबड़ा ने बताया कि स्वास्थ्य जीवन के प्रत्येक चरण अर्थात बचपनए किशोरावस्थाए वयस्कता और बुढ़ापे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है मानसिक रोगियों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद भी अब तक समाज में व्यक्ति इस के प्रति जागरूक नहीं है । आज भी यहाँ मानसिक स्वास्थ्य की पूर्णतः उपेक्षा की जाती है और इस की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है।
यह हमारे सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है और सही समय पर इसका उपचार करके इन सभी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। प्राध्यापिका डोली मेहता ने कहा कि व्यक्ति अपनी जरूरतों को पूरा करने में इतना व्यस्त रहता है कि वह अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाता और वे तनाव का शिकार हो जाता है तनाव को कम करने का सबसे अच्छा तरीका अपने समय का बेहतर प्रबंधन करना है। कार्यों की प्राथमिकता की सूची बनाएं व सभी कार्यों को एक ही दिन में पूरा करने का दबाव महसूस न करें।
स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में 50 से अधिक छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में बीए द्वितीय वर्ष साइकोलॉजी ऑनर्स की कुशमदीप ने प्रथम स्थान, बीए तृतीय वर्ष की हरजोत ने द्वितीय व बीएससी फैशन डिजाइनिंग द्वितीय वर्ष की रमनप्रीत ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। साइकोलॉजी ऑनर्स प्रथम वर्ष की शगुन और ओजस्वी को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। द्वितीय वर्ष की सुपरनीति और रीतिक को विशिष्ट पुरस्कार मिला। प्राचार्य डॉ मीनू जैन ने सभी विजेताओं को पुरस्कृत किया व बताया जैसे सांस लेना जरूरी है वैसे मानसिक स्वास्थ्य हम सभी के लिए महत्व है।
नुक्कड़ नाटक के माध्यम से छात्राओं ने यह दर्शाया कि किशोरावस्था में छात्र विभिन्न समस्याओं से जूझते हैं जैसे कि अच्छे अंक लानाए शादी का दबाव, माता पिता से विचार न मिलना, अकेलापन महसूस होना, ऐसा लगना कि उन्हें समझने वाला कोई नहीं, आंतरिक दबाव, आंतरिक अंतर्द्वंद और बॉडी शेमिंग आदि। इन समस्याओं के कारण वह अनेक मनोव्याधि का शिकार हो जाते हैं जैसे तनाव, अवसाद, चिंता नशीली औषधियों का दुरुपयोग, सिज़ोफ्रेनिया आदि। समाज में आज भी मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित अंधविश्वास मौजूद है। नाटक के जरिए बताया कि मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्तियों को उचित उपचार के द्वारा और सहारा देकर बेहतर किया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह को सफल बनाने में मनोविज्ञान की प्राध्यापिका मीनाक्षी सैनी, रत्ना सरेवाल और डोली मेहता ने अहम भूमिका निभाई।