केजरीवाल सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल ने दिया इस्तीफा

डेमोक्रेटिक फ्रंट(मीडिया रिपोर्ट) चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

पूज्य गणपती पर झाड़ू से आक्रमण

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पिछले दिनों एक ‘धर्मांतरण कार्यक्रम’ में कथित तौर पर शामिल होने से जुड़ा एक वीडियो सामने आने के बाद वह विवाद में घिर गए थे और बीजेपी लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रही थी।

राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है की यह इस्तीफे का ढोंग है। वही विश्लेषक यह मान रहे हैं की कपिल मिश्रा ने इन सब बातों को ‘आम आदमी पार्टी’ की चुनावी रणनीति बताया था यह भी उसी का एक भाग है।

राजनैतिक विश्लेषकों ने वडोदरा (गुजरात) नें लगे धर्मविरोधी केजरीवाल के पोस्टर भी आम आदमी पार्टी क चुनावी रणनीति का हिस्सा बताए और कहा की केजरीवल क जितना भी अपमान क्यूँ न हुआ हो उसकी न शिकयात की गयी न ही कोई जांच की मांग की गयी।

राजनैतिक विश्लेषकों ने रजेंदर पाल के इस्तीफे को भी इसी रणनीति का एक भाग कहा। उनके विचारों अनुसार न तो केजरीवाल अपने मंत्री से हिन्दू धर्म विरोधी शपथ मंच से लेने से नाराज़ थे न ही उनके त्यागपत्र की मांग की। राजेंद्र पाल के दिये इस्तीफे पर कोई बयान भी नहीं आया। (मतलब उसे स्वीकार नहीं किया गया। आम आदमी पार्टी का हिन्दू धर्म विरोधी ब्यान/शपथ पर आज तक कोई भी निष्कर्ष/संवाद भी नहीं)

मेरा जन्म श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ, मुझे कंस के औलादों का नाश करना हैः अरविंद केजरीवाल

             कपिल मिश्रा ने इनके मंत्री का सनातन धर्म के विरुद्ध त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश), भगवती माता गौरी का नाम लेते हुए जो शपथ उठाई और गुजरात में अरविंद केजरीवाल के ब्यान ‘मैं हिन्दू धर्म को पागलपन मानता हूँ’ को इनकी रणनीति बताया था, आज केजरीवाल ने उसी बात को सच साबित करते हुए कहा, “मैं देख रहा हूं जब से मेरा गुजरात आना हुआ, तब से पूरे गुजरात में मेरे खिलाफ पोस्टर-होर्डिंग लगाए गए हैं। मेरे खिलाफ लगाए वो तो ठीक है। वो मुझसे नफरत करते हैं। मेरे खिलाफ चाहे जो कर लें, लेकिन उन होर्डिंग्स और पोस्टर के ऊपर भगवान के खिलाफ बड़े अपशब्द इस्तेमाल किए हैं। भगवान का अपमान किया है। जिन्होंने यह किया है, वे नफरत में इतने अंधे हो गए हैं कि भगवान के खिलाफ ऐसे अपशब्द कहें हैं, गुजरात के लोग कतई यह पसंद नहीं करेंगे।” (यह वही ‘अपशब्द’ हैं जिनका प्रण आम आदमी पार्टी के मंत्री ने दिल्ली में उठाया था।) दो दिन के दौरे पर गुजरात पहुंचे केजरीवाल ने वडोदरा में उनके खिलाफ होर्डिंग्स और पोस्टर लगाने वालों को कंस की औलाद कहा। केजरीवाल के अनुसार यह अपमान है लेकिन जिसने छापे और लगवाए उन पर कोई कार्यवाही नहीं (कहीं कोई शिकायत भी नहीं) ।

डेमोक्रेटिक फ्रंट(मेडिया रिपोर्ट), नयी दिल्ली/गुजरात/पंजाब :

                        गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने प्रदेश में जोरदार चुनावी अभियान शुरू कर दिया है।  इसके तहत शनिनार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनसभा में कहा, अब ये लोग भगवान को भी बदनाम करने लगे हैं। ये सारी असुरी शक्तियाँ एक हो गईं हैं। मैं एक बेहद धार्मिक आदमी हूँ। मेरा जन्म श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ था। भगवान श्री कृष्ण ने मुझे एक काम देकर भेजा है – इन कंस की औलादों का सफ़ाया करना, जनता को इनसे मुक्ति दिलाना।अरविन्द केजरीवाल ने ‘जय श्री राम’ का नारा भी लगाया। इसी के साथ उन्होंने गुजरात की जनता से किसी भी हाल में कॉन्ग्रेस को वोट न देने की अपील की है। ये तमाम बातें उन्होंने शनिवार (8 अक्टूबर 2022) को गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान कहीं।

            मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आदिवासी बहुल कहे जाने वाले दाहोद में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए अरविन्द केजरीवाल ने अयोध्या के फ्री दर्शन का वादा किया। उन्होंने कहा कि आम आदमी की सरकार बन जाने के बाद गुजरात से अयोध्या जाने वालों को ट्रेन, रहना और खाना आदि जैसी जरूरी सुविधाएँ उनकी पार्टी मुहैया करवाएगी। केजरीवाल के मुताबिक वो अभी दिल्ली की जनता को ये सुविधाएँ दे रहे हैं जिन्हे छोड़ने वो खुद स्टेशन तक जाते हैं।

            इसी दौरान अरविन्द केजरीवाल ने आगे कहा कि अयोध्या से लौटने वाले यात्रियों का अनुभव उनके लिए जीवन का सबसे संतोषजनक पल था। केजरीवाल ने यह भी कहा कि अगले साल तक अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन कर तैयार हो रहा है। हालाँकि यह घोषणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 अक्टूबर 2022 को कर दी थी। तब उन्होंने कहा था कि अयोध्या में 50% राम मंदिर निर्माण हो चुका है जो 2024 की मकर संक्रांति को पूर्ण होने की संभावना है।

            अपने खिलाफ लगे पोस्टरों का जिक्र करते हुए अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि उन्हें अपना अपमान मंजूर है लेकिन भगवान का अपमान वो सहन नहीं करेंगे। इसी सभा में बोलते हुए उन्होंने खुद को कट्टर हनुमान भक्त बताया और जोर से जय श्रीराम का नारा लगाया। अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि वो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पैदा हुए हैं और उनका मकसद विपक्ष में मौजूद कंसों का संहार करना है। (लेकिन यह पोस्टर किसने लगवाये उसकी ना जांच हो न ही उन पर कोई कार्यवाही हो)

            इसी जनसभा में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे। अरविन्द केजरीवाल ने बाकी पार्टियों के नेताओं को गुंडागर्दी और हिंसा फैलाने वाला बताया। गुजरात में बदलाव की संभावना को केजरीवाल ने भगवान का काम बताया है। गुजरात में अपने खिलाफ लगे पोस्टरों को भी अरविन्द केजरीवाल ने भगवान के अपमान की संज्ञा दी।

            गौरतलब है कि 5 अक्टूबर 2022 को दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने 10 हजार हिन्दुओं का सामूहिक और सार्वजानिक धर्मान्तरण करवाया था। तब उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से कभी भी पिंडदान न करने की राम-कृष्ण को भगवान न मानने की कसम खिलाई थी। इस मिशन का नाम जय भीम दिया गया था। इस सभा के बाद गुजरात में आम आदमी पार्टी का विरोध करने के लिए काले होर्डिंग लगाए गए हैं। इसमें अरविंद केजरीवाल इस्लामी टोपी पहने हुए हैं। होर्डिंग में लिखा है- “मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम और कृष्ण को भगवान नहीं मनता। मैं हिंदू धर्म को पागलपना मानता हूँ और यही शब्द आम आदमी पार्टी के हैं।”

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पंचांग, 09 अक्टूबर 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 09 अक्टूबर 22 :

नोटः आज शरद् एवं अश्विनी पूर्णिमा तथा काजोर व्रत है। और लक्ष्मी इन्द्र पूजा, महर्षि श्रीवाल्मीकि जयंती व कार्तिक स्नान नियम प्रारम्भ है एवं महारास पूर्णिमा (ब्रजभूमि) नवान्नभक्षणं, तथा श्री सत्यनारायण व्रत है।

शरद् एवं अश्विनी पूर्णिमा तथा काजोर व्रत : सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थी। इस दिन मां की पूजा विधिवत तरीके से करने से सुख-समृद्धि, धन वैभव की प्राप्ति होती है

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः आश्विऩ, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः पूर्णिमा रात्रिः 02.25 तक है,  

वारः रविवार। 

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर रविवार को पान खाकर लाल चंदन, गुड़ और लड्डू का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः उत्तराभाद्रपद सांय 04.21 तक है, 

योगः ध्रुव सांय 06.36 तक, 

करणः विष्ट, 

सूर्य राशिः कन्या, चंद्र राशिः मीन

 राहु कालः सायंः 4.30 से सायं 6.00 बजे तक

सूर्योदयः 06.18, सूर्यास्तः 06.04 बजे। 

शरद पूर्णिमा, पौराणिक कथा से आप भी जान लें महत्व

 सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व माना गया है। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। बारिश के बाद पहली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है। बारिश का दौर खत्म होने के कारण हवा साफ होती है यही सबसे बड़ा कारण है। इसके बाद से मौसम में ठंडक आती है और ओस के साथ कोहरा पड़ना शुरू हो जाता है।   एसोसिएट प्रोफेसर श्रुद मोरे के मुताबिक, चांद अंधेरे में चमकता है, लेकिन चांद की अपनी कोई चमक नहीं होती। सूर्य की किरणें जब चांद पर पड़ती हैं, तो ये परावर्तित होती हैं और चांद चमकता हुआ नजर आता है। इसकी रोशनी जमीन पर चांदनी के रूप में गिरती है।   एस्ट्रोनॉमी विशेषज्ञ प्रो. समीर धुर्डे कहते हैं कि धरती पर इन किरणों की तीव्रता बेहद कम होने के कारण यह किसी तरह से कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं। आसान भाषा में समझें तो घर में मौजूद ट्यूबलाइट की रोशनी भी इन किरणों से एक हजार गुना ज्यादा चमकदार होती है। प्राचीनकाल से ही पूर्णिमा का लोगों के जीवन में काफी महत्व रहा है, क्योंकि दूसरी रातों के मुकाबले इस दिन चंद्रमा, आम दिनों की तुलना में ज्यादा चांदनी बिखेरता है। इसलिए पूर्णिमा की चांदनी का विशेष महत्व होता है।

  • बारिश के बाद पहली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है
  • इस दिन खीर का महत्व इसलिए भी है कि यह दूध से बनी होती है और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है, चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है
  • आयुर्वेद विशेषज्ञ के मुताबिक, चांद की रोशनी में कई रोगों का इलाज करने की क्षमता, पित्त को भी कम करती है

डेमोक्रेटिक फ्रंट, धर्म संस्कृति डेस्क :

शरद पूर्णिमा इसीलिए इसे कहा जाता है क्योंकि इस समय सुबह और साँय सर्दी का अहसास होने लगता है। चौमासी यानी भगवान विष्णु जिसमें सो रहे होते हैं वह समय अपने अंतिम चरण में होता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चांद अपने सभी 16 कलाओं को संपूर्ण होकर अपनी किरणों से रातभर अमृत की वर्षा करता है। जो कोई इस रात्रि को खुले आसमान में खीर बनाकर रखता है वह प्रातः काल उसका सेवन करता है उसके लिए खीर अमृत के समान होती है। मान्यता यह भी है कि चांदनी में रखी यह खीर औषधि का काम भी करती है और कई रोगों को ठीक कर सकती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा इसलिए अधिक महत्व रखती है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। शब्द व जागर के साथ-साथ इस रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। लक्ष्मी की कृपा से भी शरद पूर्णिमा जुड़ी यह मान्यता है कि माता लक्ष्मी इस रात्रि भ्रमण पर होती है और उन्हें जो जागरण करते हुए मिलता है उस पर अपनी कृपा बरसाती है।

शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोपियों संग महारास रचाने से तो जुड़ी है लेकिन इसके महत्व को बताती एक अन्य कथा भी मिलती है जो इस प्रकार है। मान्यता अनुसार बहुत समय पहले एक नगर में एक साहूकार रहता था। दो पुत्रियां थी, दोनों पुत्रियां पूर्णिमा को व्रत रखती लेकिन छोटी पुत्री हमेशा उच्च उपवास को अधूरा रखती और दूसरी हमेशा पूरी लगन और श्रद्धा के साथ पूरे व्रत का पालन करती थी। समय उपरांत दोनों का विवाह हुआ, विवाह के पश्चात बड़ी जो कि पूरी आस्था से उपवास रखती थी ने बहुत ही सुंदर और स्वास्थ्य संतान को जन्म दिया जबकि छोटी पुत्री के संतान की बात या तो सीधे नहीं चढ़ती या फिर संतान जन्मी तो वह जीवित नहीं रहती। काफी परेशान रहने लगी। उसके पति भी परेशान रहते। उन्होंने ब्राह्मणों को बुलाकर उसकी कुंडली दिखाइ और जानना चाहा कि आखिर उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है।

विद्वान पंडितों ने बताया कि इसने पूर्णिमा के अधूरे व्रत किए हैं इसीलिए इसके साथ ऐसा हो रहा है। ब्राह्मणों ने उसे व्रत की विधि बताइ। अश्विन मास के पूर्णिमा का उपवास रखने का सुझाव दिया। उन्होंने विधिपूर्वक व्रत रखा लेकिन ईश्वर संतान के पश्चात कुछ दिनों तक ही जीवित रही। उसने मृत शिशु को पटड़े पर लेटा कर उस पर कपड़ा रखती है। अपनी बहन को बुला लाई बैठने के लिए वही पटड़ा दे दिया। बहन पटड़े पर बैठने ही वाली थी कि पटड़े को छूते ही बच्चे के रोने की आवाज आने लगी। बड़ी बहन को बहुत आश्चर्य हुआ और कहा कि तू अपनी संतान को मारने हैं का दोष मुझ पर लगाना चाहती थी। अगर उसे कुछ हो जाता। तब छोटी ने कहा कि वह पहले से मरा हुआ था। आपके प्रताप से ही यह जीवित हुआ है। बस फिर क्या था पूर्णिमा व्रत की शक्ति का महत्व पूरे नगर में फैल गया और नगर में विधि विधान से हर कोई या उपवास रखें इसकी राजकीय घोषणा करवाई गई।

शरद पूर्णिमा की शुरुआत ही वर्षा ऋतु के अंत में होती है। इस दिन चांद धरती के सबसे करीब होता है, रोशनी सबसे ज्यादा होने के कारण इनका असर भी अधिक होता है। इस दौरान चांद की किरणें जब खीर पर पड़ती हैं तो उस पर भी इसका असर होता है। रातभर चांदनी में रखी हुई खीर शरीर और मन को ठंडा रखती है। ग्रीष्म ऋतु की गर्मी को शांत करती और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। यह पेट को ठंडक पहुंचाती है। श्वांस के रोगियों को इससे फायदा होता है साथ ही आंखों रोशनी भी बेहतर होती है।   डॉ. गुप्ता यह भी कहती हैं कि चांद की रोशनी में कई रोगों का इलाज करने की खासियत होती है। चंद्रमा की रोशनी इंसान के पित्त दोष को कम करती है। एक्जिमा, गुस्सा, हाई बीपी, सूजन और शरीर से दुर्गंध जैसी समस्या होने पर चांद की रोशनी का सकारात्मक असर होता है। सुबह की सूरज की किरणें और चांद की रोशनी शरीर पर सकरात्मक असर छोड़ती हैं।

  • शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से  पूरा होकर अमृत की वर्षा करता है। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चंद्रमा को औषधि का देवता माना जाता है।
  • चांद की  रोशनी स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी मानी गई हैं, इसलिए शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे चावल और दूध से बनी खीर रखी जाती हैं जिससे चंद्रमा की किरणें खीर पर पड़ती है और इसका सेवन करने से औषधीय गुण प्राप्त होते हैं।
  • शरद पूर्णिमा पर चांदी के बर्तन में खीर रखकर फिर उसका सेवन करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता दोगुनी हो जाती हैं और समस्त रोगों का नाश होता है। चांदी के बर्तन में सेवन करने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है। रिसर्च के अनुसार चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, जिससे विषाणु दूर रहते हैं। यह खीर अमृत के समान मानी जाती है।
  • मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की खीर सेवन करने से पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती है। शरद पूर्णिणा पर रात में 10-12 बजे के बीच चंद्रमा का प्रभाव अधिक रहता है। इस समय चंद्र दर्शन जरूर करना चाहिए। कहते हैं इस समय जिस पर चंद्रमा की किरणें पड़ती हैं उसकी नेत्र संबंधित समस्या, दमा रोग जैसी बीमारियां खत्म हो जाती है
  • कोजागरी पूर्णिमा पर खीर खाना इस बात का प्रतीक है कि अब शीत ऋतु का आगमन हो चुका है। ऐसे में गर्म पदार्थ का सेवन करने से स्वास्थ लाभ मिलेगा। मौसम में ठंडक घुलने के बाद गर्म चीजों का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।

चंद्रमा की 16 कलायेँ

  1. अमृत
  2. मनदा  (विचार)
  3. पूर्ण (पूर्णता अर्थात कर्मशीलता)
  4. शाशनी (तेज)
  5. ध्रुति (विद्या)
  6. चंद्रिका (शांति)
  7. ज्योत्सना (प्रकाश)
  8. कांति (कीर्ति)
  9. पुष्टि (स्वस्थता)
  10. तुष्टि(इच्छापूर्ति)
  11. पूर्णामृत (सुख)
  12. प्रीति (प्रेम)
  13. पुष्प (सौंदर्य)
  14. ज्योत्सना (प्रकाश)
  15. श्री (धन)
  16. अंगदा (स्थायित्व)