अभिव्यक्ति की गोष्ठी में साहित्य की बयार बही

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चण्डीगढ़  –  03 अकतूबर :

            अन्नुरानी और अनुभूति की मेज़बानी में अभिव्यक्ति की गोष्ठी सीबीएलयूपीएससी एकेडमी में विजय कपूर के संयोजन और संचालन में  सफलतापूर्वक आयोजित हुई। पहले दौर में कविताओं का बोलबाला रहा। इस सत्र की शुरुआत डॉक्टर कैलाश अहलूवालिया की लंबे सफर के बाद मां से बातें नाम की यादों के झुरमुट से बुनी बहुत सुंदर कविता से हुआ। सीमा गुप्ता ने कुफ्र नाम की बहुत सुंदर कविता का पाठ किया।

            अनुभूति ने द्रोपदी के आंसुओं का शोर प्रबल हुआ नाम की बेहद सुंदर कविता पढ़ी।अनुरानी ने हां बस मैं उम्मीद लिखूंगी और मेरे मौला तू हर बेटी का घर आंगन हरा रखना नाम की बहुत खूबसूरत कविताएं पढ़ीं। विजय कपूर ने स्वभाव में ही, निराकार, आकार और आवाजाही नाम की अंतर्द्वंद्व को मुखरित करती कविताएं पढ़ी ।अमरजीत अमर ने बढ़िया गजलें जिंदगी भर बस स्वर्ग की कामना करते रहे और दौर ऐसी बेबसी का कब थमेगा सुनाई। रेखा मित्तल ने एहसाओं का झिंगोला नाम की सुंदर कविता पढ़ी।

            अश्वनी भीम ने नहीं जान पाया और कमाल हैं स्त्रियां आदि सुंदर कविताओं का पाठ किया। ऊषा पांडें ने कुछ सुंदर मुकरियां और श्वेत और क्या कहा तुमने नाम की मार्मिक कविताओं को सुनाया। दीक्षित ने शमा नाम की गज़ल पेश की। डॉक्टर निर्मल सूद ने सुंदर कविता हृदय की नायिका पढ़ी। राजिंदर सराओ ने अन्नु नाम की संस्मरणनुमा कहानी को पढ़ा। डॉक्टर चसपाल ने अम्मा मैं भूली नहीं और सुबह के सुरमई अंधेरे में नाम की बहुत संजीदा कविताओं को पढ़ा। बलवंत तक्षक ने व्यंग्य कविता बस अब तुम चुप ही रहो का सुंदर पाठ किया।

            डॉक्टर विमल कालिया ने खूबसूरत कविता बंद दरवाजे के पीछे का पाठ किया। शहला जावेद ने रफ कापी नाम की सुंदर कविता पढ़ी। सारिका धुपड़ ने ज़रूरी और जिंदगी नाम की अच्छी कविताएं पढ़ीं। गौरव आहूजा ने उर्दू नज्में, पूरी दास्तान थी, लॉस्ट एंड फाउंड और कौन हूं मैं से भावविभोर किया।वीना सेठी  ने हमदर्द नाम की सुंदर कविता और कुछ चुनिंदा शे’र पढ़े। लोकेश ने शायद कुछ सपने हैं उसके नाम कविता पढ़ी। कीर्ति डैला ने चलो मेरे साथ नाम की प्रेरणादायक कविता का पाठ किया। डॉक्टर अशोक वढेरा ने संजीदा कविता क्यों होती हैं सब से जुदा बेटियां को सुनाया। डॉक्टर रोमीका वढेरा ने सुंदर कविता तुमसे प्यार है मुझे सुनाई।डॉक्टर सुनीत मदान ने भूल गया हूं मैं और कागज़ नाम की बढ़िया कविताएं सुनाई।

            दूसरे सत्र में कहानियां और संस्मरण पढ़े गया। संस्मरण ने पूर्व और पश्चिम नाम के संस्मरण में अपनी अमेरिका यात्रा के अनुभवों को सुनाया। बलवंत तक्षक ने संबंधों पर तंज़ करती हुई सुंदर कहानी फतह का पाठ किया। डॉक्टर विमल  कालिया ने मां बेटी के अटूट संबंध पर आधारित कहानी लीची का बहुत सुंदर पाठ किया। कार्यक्रम के अंतिम सत्र में अमरजीत अमर की संस्मरणों की नई पुस्तक वेंटीलेटर से का अभिव्यक्ति के साहित्यकारों और खास तौर पर उपस्थित हुए वरिष्ठ पत्रकार नलिन आचार्य के हाथों हुआ।