गंगाजल मील नगरपालिका अध्यक्ष ओम कालवा और उपाध्यक्ष सलीम कुरैशी को हटाए
करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ 01 अक्तूबर :
नगर पालिका कार्यालय और शहर में घटी घटनाओं और बोर्ड की कार्य करने की नीति से जो हालात बने हैं उसे देखते कांग्रेस पार्टी को पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा और उपाध्यक्ष सलीम कुरेशी से त्यागपत्र मांग लेना चाहिए। नए अध्यक्ष और नए उपाध्यक्ष का चुनाव करवाना चाहिए।
नगर पालिका में राज्य सरकार के निर्देशानुसार अभियान में कार्य करने में जबरदस्त ढील रही। लोग अपने कामों के लिए चक्कर पर चक्कर लगाते रहे हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ता ही नाराज हुए और यह नाराजगी किसी भी स्तर पर दूर नहीं हो पाई।
ओमप्रकाश कालवा और उपाध्यक्ष सलीम कुरैशी ने 2 दिसंबर 2019 को कार्य ग्रहण किया था।उस दिन समारोह में पूर्व विधायक गंगाजल मील और पीसीसी सदस्य हनुमान मील की उपस्थिति में अध्यक्ष ने शहर को चमन बनाने की घोषणा की थी। आज 2 साल और 10 महीने के बाद यह यह प्रश्न शहर के सभी 45 वार्डों में पूछा जा रहा है कि शहर को गंदा बनाने टूटा फूटा बनाने का अभियान ही चमन बनाना है तो ऐसे चमन की कोई आवश्यकता नहीं है।
2 दिसंबर 2019 को समारोह में पूर्व विधायक गंगाजल मील और हनुमान मील ने भी जनता को विश्वास दिलाया था कि कांग्रेस बहुमत वाले बोर्ड की ओर से शहर को साफ सुथरा रखने का कार्य अच्छे ढंग से हो सकेगा। लेकिन छह-सात महीने के बाद में ही किसी न किसी रूप में अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा की कार्यप्रणाली पर रोजाना प्रश्न पैदा होने लगे। कांग्रेस पार्टी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जिससे हालात अधिक बिगड़ते गये। कांग्रेस के पार्षद ही आरोप लगाते रहे। यहां तक की ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया ने भी पार्षद के रूप में अध्यक्ष को सवालों के घेरे में अनेक बार लिया। कांग्रेस के पार्षदों ने जो सवाल उठाए उनका उत्तर नहीं दिया गया। अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लग गये और मुकदमा भी हो गया।
ओमप्रकाश कालवा और उपाध्यक्ष सलीम कुरैशी पर सार्वजनिक व लिखित रूप में अतिक्रमण के आरोप लगे हैं। सलीम कुरैशी पर अतिक्रमण के आरोप गंभीर है। किसी ने अधिकृत रूप से खंडन नहीं किया और जांच कराने की मांग नहीं की। इन पर लगे आरोपों की समिति बनाकर और जहां अतिक्रमण बताए हैं वहां मौके पर जांच और वहां कौन रहता है कि जांच बहुत जरूरी है। जांच समिति में उपखंड अधिकारी व राजस्व विभाग के अधिकारी व गिरदावर पटवारी होने चाहिए।
अध्यक्ष ने तो नगरपालिका एक्ट के तहत बनाई जाने वाली वित्त कमेटी निर्माण कमेटी व अन्य कमेटियां का निर्माण नहीं किया जिनमें पार्षद अध्यक्ष व सदस्य होते हैं। अपने निरंकुश शासन करने के लिए कमेटियों का गठन नहीं किया जो 6 माह में गठन होना चाहिए था।
नगरपालिका के अंदर जो घटनाक्रम चले और मुकदमे बाजी हुई या कराई गई वह आक्रोश एक के बाद एक मुकदमे के बाद बढ़ता रहा। आक्रोश बहुत आगे बढ़ चुका है और यह आक्रोश पूर्व विधायक गंगाजल मील तक किसी भी समय पहुंच सकता है। उन पर भी सवाल दागे जा सकते हैं कि जब नगर पालिका में और शहर में हालात बिगड़ रहे थे तब वे सब कुछ देखते हुए इस पर कोई निर्णय क्यों नहीं कर पाए?
मील साहब ने अपने आंख कान मुंह सभी बंद क्यों कर रखे थे?
अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने गंगाजल मील को ऐसे कौनसे भ्रम में रखा हुआ है जो वे गंभीर हालातों को अनदेखा कर रहे हैं। अध्यक्ष की अपने पास रोजाना की हाजिरी या उपस्थिति से मील सा.के चारों ओर भ्रमजाल बन गया है और वे चश्मा हटा कर देख नहीं रहे।
यह भ्रम अब अधिक समय तक चलने वाला नहीं है। जब यह भ्रम टूटेगा तब तक सूरतगढ़ में कांग्रेस की छवि बहुत अधिक धूमिल हो चुकी होगी। उसके बाद टूटी हुई जनता को कार्यकर्ताओं को वापस जोड़ना बहुत मुश्किल होगा। अभी वक्त है कांग्रेस पार्टी को नगरपालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों से इस्तीफा मांगना चाहिए और उनके इस्तीफा देने के बाद में अच्छे पार्षदों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर निर्वाचित करवाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी के पार्षदों का नगर पालिका बोर्ड में बहुमत है और नए अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव कराने में कांग्रेस पार्टी को कोई दिक्कत आने वाली नहीं है। वर्तमान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष से त्यागपत्र लेने के बाद में भारतीय जनता पार्टी का कोई पार्षद अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनने की स्थिति में नहीं है कांग्रेस पार्टी के ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनेंगे इसलिए यह परिवर्तन तुरंत कर लेना चाहिए। यह समय की और सूरतगढ़ की स्थिति को देखते हुए जरूरी है।
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही विवादों के घेरे में रहे हैं। विवादों की अनेक घटनाएं दोनों से सीधा संबंध रखती है उन घटनाओं पर कांग्रेस पार्टी का निर्णय नहीं लेना पार्टी के लिए ही बहुत बड़ी हानि पहुंचाने वाला होगा।
कांग्रेस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में सूरतगढ़ शहर से वोट लेने हैं तो यह बदलाव करना ही होगा।