उर्दू अखबार ‘इंकलाब’ ने एक जुलाई 2018 को रिपोर्ट छापी थी जिसमें बताया गया था कि राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मुलाकात के दौरान कहा था कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है इस रिपोर्ट को पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा खारिज करने पर उसी अखबार में कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रमुख नदीम जावेद का इंटरव्यू छपा है, जिसमें कांग्रेस नेता ने एक तरह से यह पुष्टि की है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताया था। साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी 2018 में RSS के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। झाबुआ में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अभी तक जितने भी हिंदू आतंकी सामने आए हैं, सब RSS से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संघ के खिलाफ जांच की जाए और फिर कार्रवाई होनी चाहिए। आज कॉंग्रेस की सनातन धर्मी लोगों के प्रति नफरत फिर सामने आई जब केरल से कांग्रेस सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है और कहा है कि पीएफआई पर बैन लगाना कोई उपाय नहीं है।
- भारत सरकार ने पीएफआई को पांच साल के लिए बैन कर दिया
- पीएफआई पर बैन को लेकर कांग्रेस सांसद ने उठाया सवाल
- कांग्रेस सांसद सुरेश ने कहा कि आरएसएस पर भी बैन लगना चाहिए
राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट चंडीगढ़/ नयी दिल्ली
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मल्लपुरम में कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल ने कहा. “हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। पीएफआई पर बैन कोई उपाय नहीं है। आरएसएस भी पूरे देश में हिंदू साम्प्रदायिकता फैला रहा है। आरएसएस और पीएफआई दोनों समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केवल पीएफआई पर ही बैन क्यों?”
गौरतलब है कि पीएफआई के अलावा, आतंकवाद रोधी कानून ‘यूएपीए’ के तहत ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ (आरआईएफ), ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (सीएफ), ‘ऑल इंडिया इमाम काउंसिल’ (एआईआईसी), ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन’ (एनसीएचआरओ), ‘नेशनल विमेंस फ्रंट’, ‘जूनियर फ्रंट’, ‘एम्पावर इंडिया फाउंडेशन’ और ‘रिहैब फाउंडेशन’(केरल) को भी प्रतिबंधित किया गया है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी 2018 में RSS के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। झाबुआ में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अभी तक जितने भी हिंदू आतंकी सामने आए हैं, सब RSS से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संघ के खिलाफ जांच की जाए और फिर कार्रवाई होनी चाहिए।
PFI पर बैन लगने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया है। सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा- बाय बाय PFI। वहीं असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा- मैं भारत सरकार की ओर से PFI पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करता हूं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि भारत के खिलाफ विभाजनकारी या विघटनकारी डिजाइन से सख्ती से निपटा जाएगा।
12 सितंबर को कांग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट से खाकी की एक निक्कर की तस्वीर शेयर की। इसमें लिखा- देश को नफरत से मुक्त कराने में 145 दिन बाकी हैं। हालांकि, संघ ने भी इसका तुरंत विरोध किया और संगठन के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा था कि इनके बाप-दादा ने संघ का बहुत तिरस्कार किया, लेकिन संघ रुका नहीं।
भारत में आजादी के बाद 3 बार बैन लग चुका है। पहली बार 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद बैन लगा था। यह प्रतिबंध करीब 2 सालों तक लगा रहा। संघ पर दूसरा प्रतिबंध 1975 में लागू आंतरिक आपातकाल के समय लगा। आपातकाल खत्म होने के बाद बैन हटा लिया गया।
वहीं तीसरी बार RSS पर 1992 में बाबरी विध्वंस के वक्त बैन लगाया गया। यह बैन करीब 6 महीने के लिए लगाया गया था।
RSS की स्थापना साल 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ में सर संघचालक सबसे प्रमुख होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य हैं। संघ परिवार में 80 से ज्यादा समविचारी या आनुषांगिक संगठन हैं। दुनिया के करीब 40 देशों में संघ सक्रिय है।
मौजूदा समय में संघ की 56 हजार 569 दैनिक शाखाएं लगती हैं. करीब 13 हजार 847 साप्ताहिक मंडली और 9 हजार मासिक शाखाएं भी हैं। संघ में सर कार्यवाह पद के लिए चुनाव होता है। संचालन की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है।
वहीं PFI के खिलाफ हुई इस कार्रवाई को लेकर SDPI ने कहा है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
एक तरफ जहां पीएफआई के खिलाफ इस कार्रवाई पर संगठन से सहानुभूति रखने वाला पक्ष केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहा है तो दूसरी ओर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने इस कदम का स्वागत किया है। PFI पर बैन को लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “देश गृह मंत्री अमित शाह के फैसले की सराहना कर रहा है, हम उनका धन्यवाद करते हैं और इस निर्णय का स्वागत करते हैं इसका विरोध करने वालों भारत स्वीकार नहीं करेगा और सख्त जवाब देगा।”
पीएफआई को लेकर सांप्रदायिक हिंसा के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में संभावनाएं है कि बैन जैसी बड़ी कार्रवाई के बाद पीएफआई के कार्यकर्ता सामाजिक माहौल खराब करने की कोशिश कर सकते हैं जिसके चलते पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई है. दिल्ली से लेकर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में सुरक्षा एजेंसियां चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं।
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने उनके खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए छापेमारी की थी जिसमें संगठन के खिलाफ अहम सबूत मिले थे और विदेशी फंडिंग तक की बातें सामने आईं थीं। इसके चलते मंगलवार देर रात मोदी सरकार ने इस संगठन को बैन करने का ऐलान कर दिया जो कि संगठन के लिए एक बड़ा झटका है।