डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पंचकुला – 27 सितंबर :
पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने माता मनसा देवी मन्दिर सिद्ध शक्तिपीठ में शारदीय नवरात्रि पर्व पर नवाया शीश
4 बार विधायक रहे भाई चन्द्रमोहन ने माता के दर्शन करते हुए इलाक़ा वासीओं के सुख समृद्धि व स्वस्थ जीवन के लिए मनोकामना की तो पुजा अर्चना करते हुए सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना की इसके साथ यह भी प्रार्थना की है की माता रानी का आशीर्वाद सब पर बना रहे भाई चन्द्रमोहन जी ने मंदिर प्रांगण में श्रध्दालुओं व ओन ड्यूटी कर्मियों से भी मुलाक़ात कर कुशलक्षेम जाना
इस बार मां दुर्गा की आराधना पूरे नौ दिनों तक की जाएगी। इस दौरान मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होगी। नवरात्र में पहले दिन जहां कलश स्थापना का विधान है तो आखिरी दिन कन्या पूजन की जाती है। वहीं भक्त पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौं स्वरुपों का पूजन करते हैं। नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है।ओर दुसरा दिन
मां ब्रह्मचारिणी
यह मां दुर्गा का दूसरा रूप है यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानि तप का आचरण करने वाली बताया गया है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमंडल है। भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की और अंत में उनकी तपस्या सफल हुई। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है।
मां शैलपुत्री सुख-समृद्धि की दाता होती हैं, इसलिए इनकी पूजा जीवन में सुख-समृद्धि की प्रप्ति के लिए होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय के पुत्री के रूप में हुआ था इसीलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। शैलपुत्री माता पार्वती तथा उमा के नाम से भी जानी जाती हैं।