पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 21 सितम्बर 22 :
नोटः इंदिरा एकादशी व्रत। एकादशी का श्राद्ध।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः आश्विऩ,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः एकादशी रात्रिः 11.35 तक है,
वारः बुधवार।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पुष्य रात्रि 23.47 तक है,
योगः परिघ प्रातः 09.12 तक,
करणः बव,
सूर्य राशिः कन्या, चंद्र राशिः कर्क,
राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.13, सूर्यास्तः 06.15 बजे।