Tuesday, December 24

            ये इतिहास के सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा कि जब भारत में गाय सड़कों पर मर रही थी, उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री ने करोड़ों रुपए चीता लाने के लिए खर्च किया , तो हमारी गौमाता को “लंपी वायरस” से बचाने के लिए केंद्र सरकार क्यों एक्टिव नही हो रही??

नोट – मै चीता लाने की विरोध नही कर रहा हूँ बल्की लंपी वायरस पर केन्द्र सरकार के उदासीनता को द्रर्शा रहा हूँ ।

विनोद कुमार, डेमोक्रेटिक फ्रंट,  चंडीगढ़ –   19 सितंबर : 

            न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के केंद्रीय अध्यक्ष एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने लंपी की बीमारी से पीड़ित गौमाता के ईलाज के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई उन्होंने कहा कि आज सत्ता में हिन्दू और गाय के नाम पर वोट मांगने वाली पार्टी कहाँ है ? चीतों के लिए स्पेशल जहाज उड़वाने वालों को याद दिलाना चाहते हैं कि “गाय” सिर्फ चुनाव जीतने का जरिया नहीं गाय सच में हमारी माता है और आज हमारी माता भयंकर रोग से ग्रस्त होकर मर रही है | जब करोड़ों रुपए चीता लाने के लिए खर्च किया जा सकता है तो हमारी गौमाता को “लंपी वायरस” से बचाने के लिए केंद्रीय भाजपा सरकार क्यों एक्टिव नही हो रही ? या महामारी का सभी जानवरों में फ़ैल जाने का सरकार इंतजार कर रही है | ताकि लंपी महामारी पर गौमाता को चुनावी मुद्दा बनाकर भाजपा 2024 में लोकसभा चुनाव फिर से लड़ सके | हिंदू खतरे में बोल कर, गौमाता खतरे में बोल कर देश की जनता में जात – पात वाला नफरत का डोज़ देकर भाजपा फिर से देश की जनता को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा कर सके |

            गाय की चुनाव के समय याद आती है चुनाव के समय गाय भाजपा वालों की माँ बन जाती है आज भाजपा वालों को अपनी माँ नज़र नहीं आती माँ जब कूड़े के ढेरों पर कूड़ा खाती है तब माँ नज़र नहीं आती |  सत्ता के नशे में चूर भाजपा के दागी आयाश नेताओं  को यह तक मालूम नहीं यह गाय के नाम पर सत्ता में आ सकते हैं तो गाय के अभिशाप से सत्ता से जा भी सकते हैं।

            एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि देश के संसाधनों एवं संस्कृति को बर्बाद करने में भारत के बिकाऊ और दलाल मीडिया का अहम योगदान है!

पिछले कुछ दिनों में भारतीय मीडिया ने जितनी कवरेज इन चीतों को दी है उससे आधा भी अगर पिछले 3 महीनों में लंपी रोग से तड़प कर मर रही गौ माता को दी होती तो शायद लाखों गायों को मरने से बचाया जा सकता था।

            भारत में पहली बार ऐसा दिखलाई दे रहा है एवं हो रहा है की देश का दलाल मीडिया देश के लिए नहीं अपनी दलाली के लिए काम कर रहा है! देश और देश की जनता से जुड़े मुद्दों पर मीडिया को कोई सरोकार नहीं रह गया है ! छपकर बिकते थे जो अख़बार, सुना है आज कल बिक कर छपते हैं |

            एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि मंदिरों में  अरबों रूपए का चढ़ावा है | मोटी मोटी फीस लेने वाले कथावाचक जो पूरे दिन गाय के महत्व को बताते हैं | राजनेता गाय के नाम पर सरकारें बनाते है | हर दुकान पर गोसेवा दानपात्र रखा रहता हैं | अगर इतनी विकट घड़ी में भी गायों के लिए इन सब का पैसा काम नहीं आया तो आखिर कब काम आएगा।  लंपी रोग से ग्रसित एक बेजुबान जानवर का क्या हाल हो रहा है |

            गौमाता वोट नही देती वरना विदेशों से भी दवाई आ जाती अब तक तो….जिस देश में गाय को गौ माता का दर्जा है उस देश के नेता का अब तक कुछ भी बयान नहीं आया बहुत शर्म की बात है गौ माता के नाम पर वोट लेते हुए इनको शर्म नहीं आती होगी छोटी-छोटी मांगों के लिए देश बंद कर देते हो क्या इनके रोगों के इलाज और इनके उपचारों के लिए सरकार के खिलाफ “भारत बंद” आन्दोलन नहीं कर सकते हो | केंद्र सरकार से पूछ रहा है भारत का एक जिम्मेदार नागरिक |