मंच एक ऐसा माध्यम है जिससे आप अपने समाज, स्कूल व माता पिता का नाम रौशन कर सकते है – ललित कालड़ा
कालावाली वरिन्दर जिन्दल, डेमोक्रेटिक फ्रंट, कलवाली – 19 सितंबर :
जवाहर नवोदय विद्यालय ‘ओढ़ा’ में जयपुर संभाग के अंतर्गत संकुल स्तरीय कला उत्सव का शुभारंभ किया गया। इस उत्सव में हरियाणा व राजस्थान की 130 से अधिक छात्र-छात्राएं हस्तकला व नृत्य कला में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन बेहतर तरीके से कर रही है। नृत्य और कला के माध्यम से विद्यार्थियों ने समाज को बेटी बचाने का भी सन्देश दिया है। इसमें दिव्यांग बच्चे भी भाग ले रहे हैं।
कला उत्सव का शुभारंभ जवाहर नवोदय विद्यालय के प्रधानाचार्य ललित कालडा व जजों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। विद्यालय के विद्यार्थियों ने मां सरस्वती की वंदना का गुणगान कर विधिवत रूप से कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। वरिष्ठ अध्यापक वीरेंद्र बेनीवाल ने बाहर से आए हुए विद्यार्थियों और एस्कॉर्ट का विद्यालय में पहुंचने पर स्वागत किया।
उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हर इंसान के अंदर प्रतिभा छिपी हुई होती है लेकिन संकोच के कारण अधिकतर लोग अपनी प्रतिभा को बाहर नहीं निकाल पाते और वह उसके अंदर ही दबकर रह जाती है। प्रधानाचार्य ललित कालडा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को कला के क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना चाहिए। हस्तकला, वाद्य यंत्र और नृत्य कला में से किसी एक में निपुणता हासिल होनी चाहिए। कलाओं का प्रदर्शन करने के लिए विद्यार्थियों को मंच पर आना होता है। मंच एक ऐसा माध्यम है जिससे आप अपने समाज, स्कूल व माता पिता का नाम दुनिया में रोशन कर सकते हो । मंच के ऊपर आकर हमें झिझक और संकोच नहीं करनी चाहिए बल्कि निडर होकर अपनी कला का प्रदर्शन करना चाहिए।
संगीत अध्यापक मुकेश राणा व कला अध्यापिका दीपिका उप्रेती ने बताया कि प्रतियोगिता के विजेता क्षत्रिय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेंगे। नृत्य कला में छात्र छात्राओं ने हरियाणवी, राजस्थानी व पंजाबी वेशभूषा घाघरा, बोरला, कंठी, कुर्ता, धोती, चूंदड़ी, पगड़ी पहनकर अपनी अपनी संस्कृति को बेहतर ढंग से दिखाने का प्रयास किया।
राजस्थानी गीत घूमर घूमर घूमे र बाईशा, कालो कूद पडो रे मेले में, साइकिल पंचर कर लायो पर हिमानी व तनीषा, हरियाणवी लोक नृत्य में मेरे काले रंग के दामण की झोल कसूती सै, मेरा नो डांडी का बीजना, मेरी सासू की चटोरी जीभ मांगे रै जलेबी, टोकरी पीतल की रे, मत छेड़ बलम मेरे कुर्ते ने हो जागी तकरार आदि गीतों पर रवीना, रंजना, गरिमा खुशी ने नृत्य किया। पंजाबी गीत चल मेले नू चलिए, बाकी सारी दुनिया में जा के देख लो हुस्न पंजाब का देख आदि गीतों पर नवजोत कौर, लवदीप व दिनेश ने डांस किया तो विद्यार्थी भी उनके साथ झूमने लगे।
हस्तकला में भी विद्यार्थियों ने अपनी हाथ से बनाई हुई मूर्तियों, खिलौनों और क्ले का प्रदर्शन किया।विद्यार्थियों ने मिट्टी से बनाई हुई मूर्तियां पुराने कपड़ों से तैयार किए गए खिलौने बहुत ही सुन्दर लग रहे थे।विद्यार्थियों ने उपस्थित जजों के सामने पेंटिंग और चित्रकारी का अनोखा प्रदर्शन किया। वाद्य यंत्रों में जेएनवी के विद्यार्थियों ने अच्छा प्रदर्शन किया। विद्यार्थियों ने हारमोनियम तबला गिटार ढोलक बैंजो चिमटा डफली मंजरी आदि वाद्य यंत्रों पर अपने हाथों की कला का गीतों की धुन के साथ सामंजस्य बिठाकर अच्छा प्रदर्शन किया।
बच्चों की कला को जज करने के लिए चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा के सांस्कृतिक विभाग के निदेशक रणजीत सिंह बनता, व्याख्याता नितिन सचदेवा, गुरप्रीत कौर, सीएमके कॉलेज सिरसा के व्याख्याता रंजना ग्रोवर, ओढ़ा की व्याख्याता अभिलाषा शर्मा, शंकर आर्ट गैलरी सिरसा के निदेशक गिरिजा शंकर, फतेहाबाद मॉडल संस्कृति स्कूल से नेहा शर्मा और सिरसा से राम सिंह यादव ने भाग लिया और अपनी भूमिका को बखूबी निभाया।
इस मौके पर नवीन लांबा, अमित भाटिया, मुकेश राणा, गौतम खत्री, ललित प्रताप, कामेश्वर पिलानिया, रामनिवास यादव, महेंद्र बैरवा, बलराम सोलंकी, चरित्र नारंग, मुराद सिंह, सुनीता देवी, पूनम रानी, दीपिका उप्रेती, निशा, सीमा सक्सेना, भारती, राजरानी, प्रदीप, सुन्दर सिंह, राधेश्याम, मोहनलाल शर्मा, अमृत लाल सहित अनेक स्टाफ सदस्य व विधार्थी उपस्थित रहें।