कश्मीर से यमुनानगर पहुंची साइकिल यात्रा का हुआ जोरदार स्वागत
सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर :
महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित होकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा पर निकले स्पिक मैके के फाउंडर एवं पदमश्री 73 वर्षीय डॉ किरण सेठ बुधवार को यमुनानगर पहुंचें। कैन्हया चौक पर डीएवी यूनिवर्सिटी जालंधर की पूर्व रजिस्टरार डॉ सुषमा आर्य, डीएवी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ आभा खेतरपाल व अन्य ने उनका स्वागत किया। विभिन्न स्कूल व कॉलेज के विदयार्थियों ने साइकिल पर डीएवी हॉस्टल तक उनकी अगुवाई की। इसके बाद कॉलेज में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया।
डॉ किरण सेठ ने कहा कि 15 अगस्त को उन्होंने तीन उददेष्यों को लेकर कश्मीर से साइकिल यात्रा शुरू की थी। शरीर के स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ मानसिक विकास और एकाग्रता बढाने के लिए साइकलिंग जरूरी है। 45 साल पहले उन्होंने आइआइटी दिल्ली से सामाजिक आंदोलन शुरू किया था। जो आज देष के 500 व विदेष के 50 षहरों में षास्त्रीय संगीत, संस्कृति व अन्य की जानकारी मुहैया करवा रहा है। कोविड से पहले उन्होंने हर साल पांच हजार कार्यक्रम किए। हर बच्चे तक पहुंचने के लिए उन्होंने 20 लाख संस्थानों तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है। स्वयंसेवी लोगों को स्पिक मैके के साथ जोडना और इस आंदोलन का प्रचार प्रसार करना मुख्य लक्ष्य है। गांधी जी के विचारों को आगे बढाने के लिए यात्रा शुरू की गई है। जिसमें उन्होंने उच्च विचार और साधारण जीवन का पालन करने हुए साधारण साइकिल के साथ यात्रा षुरू की है। उन्होंने तीन जोडी कपडों के साथ यात्रा शुरू की थी।
उन्होंने लोगों से आहवान किया कि वे संस्कृति के लिए कुछ न कुछ अवशय करें। जिसमें साइकलिंग, योग व आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहने की बात कही। डेढ साल से चार साल तक के बच्चों पर हुए षोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें बचपन से ही उन्हें आध्यात्मिकता से जोडना चाहिए। जिनता ज्यादा बडा उददेष्य होगा, उतनी ही ज्यादा मुष्किलें सामने आती है। लाइब्रेरी में विदयार्थियों को संबोधित करते हुए डॉ किरण सेठ ने कहा कि अनुभव से बहुत सारी चीजें सीखी जा सकती है। डॉ सुशमा आर्य ने स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान स्पिक मैके की ओर से करवाए गए कार्यक्रमों की जानकारी दी। प्रिंसिपल डॉ आभा खेतरपाल ने कहा कि मेडिटेषन के जएिए एकाग्रता को बढाया जा सकता है। जिससे पढाई व करियर को प्रोत्साहन मिलता है। जीवन में स्वस्थ रहने के लिए योग व शास्त्रीय संगीत बेहद जरूरी है। मौके पर डॉ सुरिंद्र कौर, डॉ रचना सोनी, डॉ नीता दिववेदी, डॉ गुरशरन कौर उपस्थित रहीं