सूरतगढ़ तपगढ बना: आचार्य जयानंद सुरिश्वर महाराज का चातुर्मास.

  करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़  –  5 सितंबर 22  : 

“जिस तरह से साबुन से शरीर का मैल साफ होता है उसी तरह से तप से आत्मा की मलिनता दूर होती है। तपस्या की साबुन और समता के पानी से आत्मा पर जमी कर्मों की गन्दगी को धोया जा सकता है।” यह उद्गार तपस्वीयों के अनुमोदना कार्यक्रम में आचार्य श्री जयानंद सुरीश्वर जी महाराज ने व्यक्त किए। 

गणी जय कीर्ति विजय जी महाराज ने कहा कि सूरतगढ़ अब तपगढ बनने की ओर अग्रसर है। रविवार को 11 दिन की तपस्या करने वाली संगरिया निवासी मनौती गुप्ता और 8 दिन का तप करने वाले नव्यम डागा का वरघोड़ा निकाला गया जो शहर के विभिन्न मार्गो से होता हुआ श्री आत्म वल्लभ आराधना भवन पहुंच कर कार्यक्रम संपन्न हुआ। 

  शाम के समय भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया जिसमें  मुनि दिव्यांश विजय,प्रवीण डी जैन, पारस गोलछा, तारा देवी बांठिया और अंजना पटावरी ने भजन प्रस्तुत किए।

   उसके पश्चात रात्रि के समय श्री कुमार पाल महाराजा की 108  दीपक से भव्य आरती की गई। 

श्री पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर की भव्य सजावट की गई। कुमारपाल महाराज और महारानी का वरघोड़ा निकाला गया जो मंदिर में पहुंचा। कुमारपाल महाराजा बनने का लाभ अशोक कुमार अरिहंत कुमार डागा परिवार ने लिया।

   रविवार को जैन श्री संघ की बैठक विजय वल्लभ जैन धर्मशाला में अध्यक्ष सुरेंद्र चोपड़ा की अध्यक्षता में आयोजित की गई जिसमें सचिव सुशील सेठिया और कोषाध्यक्ष हेमन्त डागा ने भवन निर्माण पर हुए आय व्यय का ब्यौरा सदन के सामने रखा। रविवार को ही समाज का सधार्मिक स्वामी वात्सल्य रखा गया जिसका टेकचंद हेमंत डागा परिवार द्वारा लाभ लिया गया। श्री पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैन मूर्तिपूजक संघ द्वारा दोनों तपस्वियों का बहूमान किया गया। इन सभी कार्यक्रमों में  मुनि चारित्र वल्लभ विजय और बाल मुनि चैत्य वल्लभ विजय का भी सहयोग रहा। श्री संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र चोपड़ा ने सभी  का आभार व्यक्त किया।