पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 05 सितम्बर 22 :
नोटः दशमी तिथि का क्षय है। आज श्री चन्द्र नवमी है। (उदासीन सम्प्रदाय), श्री भागवत् सप्ताह पाठारम्भ।
आज श्री चन्द्र नवमी है : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को श्री चंद्र नवमी के रुप में या जाता है। यह उत्सव उदासीन संप्रदाय के प्रवर्तक चंद्र जी के लिए समर्पित है। इस वर्ष 05 सितंबर 2022 को चंद्र नवमी मनाई जाएगी। भारतवर्ष की तपोभूमि में समय-समय पर धार्मिक विचारों का जन सैलाब सदैव ही उमड़ता रहा है। यह किसी एक व्यक्ति की बात हो या फिर किसी जन समूह की। सभी ने धार्मिक विचारधारा में अपना-अपना विशेष योगदान भी दिया और जिसकी अमिट छाप किसी न किसी रुप में आज भी देखने को मिलती है। इस धार्मिक वैचारिक मार्ग में एक नाम श्रीचंद जी का भी आता है। श्रीचंद जी ने अपने विचारों ओर कार्यों द्वारा जो भी सामाज कल्याण के कार्य किए वह सभी आज भी एक आर्दश के रुप में स्थापित हैं। श्री चंद्र जी द्वारा धर्म के क्षेत्र में जो भी अनुसंधान और नए विचार आए वह सभी आज भी सभी के पथ प्रदर्शक बने हुए हैं।
दशमी तिथि का क्षय है: जब किसी तिथि में एक बार भी सूर्योदय नहीं हो तो उस तिथि का क्षय हो जाता है। जैसे- किसी शुक्रवार सूर्योदय प्रात: 5:44 पर हुआ और इस दिन एकादशी तिथि सूर्योदय के बाद प्रात: 6:08 पर समाप्त हो गई तथा द्वादशी तिथि प्रारंभ हो गई और द्वादशी तिथि आधी रात के बाद 27 बजकर 52 मिनिट (अर्थात् अर्द्धरात्रि के बाद 3:52) तक रही तत्पश्चात् त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो गई। द्वादशी तिथि में एक भी बार सूर्योदय नहंी हुआ। शुक्रवार को सूर्योदय के समय एकादशी और शनिवार को सूर्योदय (प्रात: 5:43) के समय त्रयोदशी तिथि रही, अत: द्वादशी तिथि का क्षय हो गया। इस प्रकार जब किसी तिथि में सूर्योदय नहीं हो तो उस तिथि का क्षय हो जाता है। क्षय तिथि को पंचांग के तिथि वाले कॉलम में भी नहीं लिखा जाता जबकि वृद्धि तिथि को दो बार लिखा जाता है।
श्री चन्द्र नवमी है :
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः भाद्रपद़,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः नवमी प्रातः 08.28 तक है,
वारः सोमवार।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः मूल रात्रि 08.06 तक है,
योगः प्रीति रात्रि 11.27 तक,
करणः कौलव,
सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः धनु,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.05, सूर्यास्तः 06.34 बजे।