Tuesday, December 24
  • कैंसर जैसी नामुराद बीमारियों से मुक्त समाज बनाना हमारा लक्ष्य : दीबा आरिफ

कोरल’पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला – 4 सितंबर : 

खाने को अपनी दवा बनने देंं..

प्राकृतिक खान-पान इंसान को कैंसर जैसी नामुराद बीमारियों से राहत दिला सकता है। व्यक्ति द्वारा खाया जा रहा भोजन ही दवाई का काम करे तो जीवन की गुणवत्ता में सुधार आना लाजमी है। यह बात जानी मानी वीटग्रैस व प्रोबायोटिक स्पेशलिस्ट दीबा आरिफ ने आज पंचकूला में परवा फाउंडेशन द्वारा शुरू की गई ‘स्वस्थ जीवन और कैंसर मुक्त विश्व के लिए एक पहल’ के दौरान कही। परवा फाउंडेशन की संस्थापक दीबा आरिफ ने कहा कि एक सुंदर पंक्ति ‘खाने को अपनी दवा बनने दें’ को यदि व्यक्ति अपने जीवन में अपना ले तो व्यक्ति ताउम्र स्वस्थ रह सकता है।

‘स्वस्थ जीवन और कैंसर मुक्त विश्व के लिए एक पहल’

उन्होंने कहा कि अनुभवों ने साबित किया है कि हमारा खाना ही शरीर के लिए दवाई बन सकता है। उन्होंने वीटग्रास की घरेलू (इनडोर) पैदावार के बारे बातचीत करते हुए उन्होंने अपने 10 वर्ष के सफर में अनेकों ही कैंसर पीडि़त मरीजों को राहत मुहैया करवाई है। इसके अलावा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, एलर्जी, आंत की समस्याओं, थायराइड, एनीमिया सहित अनेकों बीमारियों से भी छुटकारा दिलाया है। उन्होंने बताया कि आहार से प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स गायब होना गंभीर बीमारियों का कारण बना है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष आज के दिन ही इस फाउंडेशन की स्थापना की गई थी, जिसका मुख्य मकसद ‘स्वस्थ जीवन और कैंसर मुक्त विश्व के प्रति जागरूकता फैलाना है।

‘खाने को अपनी दवा बनने दें’

उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा पूरा वर्ष इनडोर में पूरी योगय विधियों तथा आर्गेनिक तरीकों से वीटग्रैस तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि वीटग्रैस में सभी विटामिन, एमीनो एसिड आदि के अलावा आक्सीजन का उच्च स्तर होता है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा ब्लैक गारलिक / काला लहुसन भी संशोधित तरीकों से तैयार किया जाता है। जो कि ब्लड प्रैशर के मरीजों के लिए लाभकारी साबित होता है। इसके अलावा इससे क्लोस्ट्रोल तथा इम्यूनिटी में सुधार लाता है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा कैफिर दूध, पानी आधारित प्रोबायोटिक रेनेवलॉक सहित अनेकों सब्जियां आदि भी तैयार की जाती हैं।