पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 03 सितम्बर 22 :
नोटः आज मुक्ताभरण/संतान सप्तमी व्रत, दूर्वाष्टमी व्रत है। श्रीराधाष्टमी व्रत, श्रीमहालक्ष्मी व्रत प्रारम्भ ।
मुक्ताभरण/संतान सप्तमी व्रत : ये सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, जो हिन्दू पंचांग के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि होती है। इस वर्ष ये विशेष दिन 3 सितंबर 2022 को मनाया जा रहा है। इस संतान सप्तमी को ललिता सप्तमी, अपराजिता सप्तमी और मुक्ताभरण सप्तमी के रूप में भी मनाया जाता है।
श्रीराधाष्टमी व्रत : सनातन धर्म में भगवान कृष्ण के समान ही राधा जी को भी पूजनीय माना गया है और कृष्ण जन्माष्टमी के समान ही राधा अष्टमी का भी बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। हाल ही में देशभर में जन्माष्टमी का पर्व उत्साह के साथ मनाया गया था। कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के करीब 15 दिन बाद हर साल राधाष्टमी मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली जन्माष्टमी के बाद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस साल राधा अष्टमी 04 सितंबर 2022 को है। धार्मिक मान्यता है कि राधा अष्टमी व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। पति पत्नी में प्रेम बना रहने से परिवार में भी शांति बनी रहती है।
श्रीमहालक्ष्मी व्रत : श्री महालक्ष्मी व्रत का प्रारम्भ भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन से होता है। वर्ष 2022 में 03 सितंबर को यह व्रत संपन्न होगा। यह व्रत राधा अष्टमी के ही दिन किया जाता है। इस व्रत में लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः भाद्रपद़,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः सप्तमी दोपहर 12.29 तक है,
वारः शनिवार।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी,गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
नक्षत्रः अनुराधा रात्रि 10.57 तक है,
योगः वैधृति सांय 04.59 तक,
करणः वणिज,
सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः वृश्चिक,
सूर्योदयः 06.04, सूर्यास्तः 06.36 बजे।
राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,