Tuesday, December 24

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 1 सितम्बर 22 :

नोटः आज ऋषि पंचमी व्रत, सम्वसरी पर्व (जैन)।

ऋषि पंचमी व्रत

ऋषि पंचमी व्रत : सनातन धर्म पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह गणेश चतुर्थी के अगले ही दिन पड़ता है। इस वर्ष ऋषि पंचमी आज 1 सितंबर को है। ऋषि पंचमी को गुरु पंचमी, भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऋषि पंचमी पर उपवास रखने से पापों से मुक्ति और ऋषियों का आशीर्वाद मिलता है। ऋषि पंचमी का पर्व मुख्य रूप से उन महान संतों के प्रति सम्मान, कृतज्ञता और स्मरण व्यक्त करने के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने समाज के कल्याण में बहुत योगदान दिया।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः भाद्रपद़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः पंचमी दोपहर 02.50 तक है, 

वारः गुरूवार, 

नक्षत्रः स्वाती रात्रि 12.12 तक है। 

विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

योगः ब्रह्म रात्रि 09.11 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः तुला, 

राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.03, सूर्यास्तः 06.39 बजे।