पंचांग, 30 अगस्त 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 30 अगस्त 22 :

नोटः आज हरितालिका तृतीया, गौरी तृतीया, सामवेदि उपाकर्म एवं श्री वाराह जयंती है। और कलंक चतुर्थी (चंद्र दर्शन निषेध) है।

श्री वाराह जयंती

श्री वाराह जयंती : वराह जयंती इस साल 30 अगस्त दिन मंगलवार को है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था। इस वजह से हर साल इस तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है और भगवान विष्ण के वराह स्वरूप की पूजा करते हैं और उनसे सुख एवं समृद्धि की कामना करते हैं।

कलंक चतुर्थी

कलंक चतुर्थी : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा देखना वर्जित माना जाता है। क्योंकि इस दिन कलंक चतुर्थी मनाई जाती है। जो इस बार 30 अगस्त को पड़ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश जी द्वारा चंद्रमा को एक श्राप दिया गया था जिसके चलते इस दिन चंद्रमा नहीं देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है जो व्यक्ति इस दिन चंद्रमा देख ले तो उसे कलंक लगने, मानहानि जैसे गंभीर दोष लगने का डर रहता है।

हरितालिका तृतीया

हरितालिका तृतीया : सनातन धर्म पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज 30 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

गौरी तृतीया

गौरी तृतीया : गौरी तृतीया शास्त्रों के कथन अनुसार इस व्रत और उपवास के नियमों को अपनाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है स्त्रियों को दांपत्य सुख व संतान सुख की प्राप्ती कराता है. प्राप्त होता है. गौरी तृतीया व्रत की महिमा के संबंध में पुराणों  में उल्लेख प्राप्त होता है जिसके द्वारा यह स्पष्ट होता है कि दक्ष को पुत्री रुप में सती की प्राप्ति होती है. सती माता ने भगवान शिव को पाने हेतु जो तप और जप किया उसका फल उन्हें प्राप्त हुआ.

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः भाद्रपद़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः तृतीया अपराहन् 03.34 तक है, 

वारः मंगलवार, 

नक्षत्रः हस्त रात्रि 11.49 तक है।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।

योगः शुभ रात्रि 12.04 तक, 

करणः गर, 

सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः कन्या, 

राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.02, सूर्यास्तः 06.41 बजे।