पंचांग, 27 अगस्त 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 27 अगस्त 22 :
नोटः आज भाद्रपद अमावस, कुशाग्रहणी अमावस, पिठोरी अमावस, शनैश्चरी अमावस है। इस अमावस्या को कुशोत्पाटिनी या कुशग्रहणी के साथ-साथ पिठौरी अमावस्या या पिथौरी अमावस्या भी कहते हैं. शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है इसलिए इसे शनैश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः भाद्रपद़, पक्षः कृष्ण,
तिथिः अमावस दोपहरः 01.47 तक है,
वारः शनिवार,
नक्षत्रः मघा रात्रि 08.26 तक है।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
योगः शिव रात्रि 02.06 तक,
करणः नाग,
सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः सिंह,
राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,
सूर्योदयः 06.01, सूर्यास्तः 06.44 बजे।