अपना समय दूसरों को न बेचें बल्कि उधमिता में निवेश करें:- डॉ सहगल

सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर हरियाणा :

स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन का आयोजन इंडीयन पब्लिक स्कूल, बुढ़िया में किया गया।इसमें मुख्य वक्ता जिला जिला समन्वयक व अध्यक्ष यमुनानगर-जगाधरी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, शिक्षाविद डॉक्टर एम॰के॰ सहगल व गुरुनानक खालसा कॉलेज से डॉक्टर उदय भान रहें। अभियान के ज़िला समन्वयक डॉक्टर सहगल ने ने सभी का स्वागत किया l उन्होंने 2 युवा उधमीयो वंशिका दुआ व वंदिता सिंह को उल्लेखनीय कार्यों के लिये सम्मानित भी किया।वंशिका दुआ ने युवाओं को बताया कि उन्हें बेकिंग का बहुत शोक था तो उन्होंने इसे पड़ाई के साथ ही अपना व्यवसाय बना लिया जो होम बेकिंग के आधार पर बहुत अच्छा चल रहा है। वंदिता सिंह ने जर्मन भाषा के महत्व बारे बताया व वो गाँधीनगर गुजरात में सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पड़ती है व युवाओं को ऑनलाइन जर्मन भाषा सिखाती भी है व अब यमुनानगर में सेंटर खोल रही है।आई॰पी॰एस॰ के चेयरमैन डॉक्टर ओ॰पी॰ तनेजा ने कहा कि युवा दूसरों को जॉब देने वाले बने व पढाई के साथ काम भी करें तो बेहतर होगा। युवाओं को अपने अंदर उद्यमिता की भावना को जागृत करना चाहिए l  पढ़ाई करने के बाद हर युवा नौकरी के बारे में ही क्यूँ सोचता रहता है, जबकि नौकरियां सीमित है, इसलिए विद्यार्थी काल से ही उन्हें नौकरी मांगने की बजाय नौकरी देने वाला बनने की प्रेरणा दीं गयीं। इसी अभियान को सभी द्वारा समर्थन देने से कुछ समय में ही पूरे देश में नौकरिया देने वाले बहुत से युवा हो जायेगे व नौकरियों की संख्या भी स्वतः बढ़ेगी। यमुनानगर जगाधरी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स इंडस्ट्री के प्रधान व मैनेजमेंट गुरू डॉक्टर एम॰के॰ सहगल ने प्रेरणादायक शब्दों में कहा कि मंजिलें उन्ही को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है व पंख से कुछ नहीं होता, होंसलो से उड़ान होती है।उधमिता किसी उपक्रम में जोखिम उठाने की क्षमता , संगठन की योग्यता एवं विविधीकरण करने तथा नव-प्रवर्तनों को जन्म देने की इच्छा है।आज इंटरनेट से सभी को बराबर सुविधाए उपलब्ध है जिसका सभी को सही दिशा में प्रयोग करना चाइए।रास्ते में दिक़्क़तें तो आयेंगी पर सही दिशा में चलने से ही अच्छी दशा मिल पायेंगी। उन्होंने सरकार की विभिन्न स्कीमों बारे भी जानकारी दीं।स्वदेशी अपनाकर व रोज़गार बढ़ाकर ही देश को संपन्न बना सकते हैं।कुछ नया सोचने के लिये कई उदाहरण भी दिए।स्वदेशी जागरण मंच से डॉक्टर उदय भान, प्रोफैसर गुरुनानक खालसा कॉलेज ने बताया कि उधमिता अर्जित कार्य है-उधमिता स्वाभाविक रूप से संगठन में विद्यमान नहीं होती, वरन प्रयास द्वारा अर्जित की जाती है। प्रत्येक व्यावसायिक संगठन में उधमिता नहीं होती, वरन साहसिक निर्णयों द्वारा उधमिता को व्यवहार में लाया जाता है। इसके लिये उद्यमी को लगातार प्रयत्न करने होते हैं। संसाधनों का संयोजन तथा उपयोग-उधमिता द्वारा यत्र-तत्र बिखरे संसाधनों को संयोजित कर दक्षता पूर्वक उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय में उत्पादन के विभिन्न साधन यथा-भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन आदि विभिन्न व्यक्तियों के पास होते हैं। उद्यमी इन संसाधनों को एकत्रित करता है तथा उनमें संयोजन कर उत्पादन प्रक्रिया आरंभ करता है।युवाओं को जल्दी कमाना सीखना होगा व आत्मनिर्भर बनना ज़रूरी है। मंच का संचालन परविंदर कौर ने किया। इस अवसर पर  डॉक्टर एम॰के॰ सहगल, डॉक्टर उदय भान, डॉक्टर अश्वनी अग्रवाल, डॉक्टर ओ॰पी॰तनेजा, डॉक्टर सी॰के॰ तनेजा, मीनाक्षी, देवकी सिंह, विक्रम वर्मा उपस्थित रहे l