8 महीने बीतने के बाद भी पार्षद का चुनाव नहीं, याचिका पर जल्द होगी सुनवाई

आआपा पार्षद अंजू कात्याल, प्रेम लता तथा राम चंद्र यादव ने याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी। याचिका में भाजपा की मेयर सरबजीत कौर समेत सीनियर डिप्टी मेयर दिलिप शर्मा और डिप्टी मेयर अनुप गुप्ता के चुनाव को रद्द करने की मांग की गई थी। इस चुनाव रिजल्ट को गैरकानूनी करार देने की मांग करते हुए नगर निगम के स्टेट इलेक्शन कमिश्नर तथा अन्य प्रतिवादी पक्षों को पुनः ताजा चुनाव करवाने के आदेश जारी करने की मांग की गई थी।

आप पार्षद अंजू कात्याल दिसंबर, 2021 में निगम चुनाव जीती थी।

चंडीगढ़ संवाददाता, डेमोक्रेतिक फ्रंट – 22 अगस्त :

चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव हुए करीब 8 महीने हो चुके हैं और इस बार अभी तक प्रशासन द्वारा नॉमिनेटेड काउंसलर्स की नियुक्ति नहीं की गई है। इसे लेकर चंडीगढ़ के मनीमाजरा निवासी जसपाल सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है।

मामले में यूटी प्रशासन को इसके प्रशासक बीएल पुरोहित, गृह सचिव, सचिव, लोकल बॉडीज और निगम को इसकी कमिश्नर अनंदिता मित्रा के जरिए पार्टी बनाया है। एडवोकेट मंदीप के साजन याची की ओर से केस में पैरवी करेंगे। हाईकोर्ट में जल्द याचिका सुनवाई के लिए लग लगेगी।

याचिका में मांग की गई है कि प्रतिवादी पक्ष को आदेश दिए जाए कि वह नगर निगम के नॉमिनेटेड काउंसलर्स के नाम नोटिफाई कर पब्लिश करे। पंजाब म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत यह कार्रवाई करने को कहा गया है। निगम की सुचारु कार्रवाई, चंडीगढ़ के कल्याण और न्यायहित में यह कार्रवाई करने को कहा गया है।

इसके अलावा मांग की गई है कि प्रतिवादी पक्ष को आदेश दिए जाए कि याची की उस अर्जी पर भी फैसला लें जिसमें उन्होंने नॉमिनेटेड काउंसलर के लिए उनके नाम पर विचार करने की मांग की थी। याची ने कहा है कि वह समाज सेवी है और एंटी करप्शन सोसाइटी(रजिस्टर्ड) के प्रेसिडेंट हैं। इसके अलावा भी वह कई समाज कल्याण की संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

कहा गया है कि एक्ट के मुताबिक वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले काउंसलर्स लोगों द्वारा चुने जाते हैं। वहीं 9 नॉमिनेटेड काउंसलर्स प्रशासक द्वारा चुने जाते हैं। प्रशासनिक कामों और निगम संचालन की व्यवहारिक जानकारी रखने वाले लोगों को प्रशासक चुनता है। कहा गया है कि निगम के जनरल इलैक्शन के साथ ही नॉमिनेटेड काउंसलर्स का भी चयन हो जाना चाहिए था। याची ने कहा है कि समाज सेवी होने के साथ ही उन्हें निगम प्रशासन की भी विशेष जानकारी है।

बता दें कि चंडीगढ़ में पहले निगम के नॉमिनेटेड काउंसलर्स मेयर चुनावों में वोट डालते थे। इस वोटिंग राइट को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने वोटिंग राइट पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन(SLP) पर सुनवाई लंबित है।